राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

चंद्रबाबू की चांदी ही चांदी!

PM Modi NaiduImage Source: ANI

PM Modi Naidu: चंद्रबाबू नायडू गजब हैं। उन जैसा चतुर क्षत्रप फिलहाल दूसरा नहीं है। वे आंध्र प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं और मोदी सरकार को अपनी पार्टी का समर्थन देते हुए सर्वाधिक लाभ ले रहे हैं।

इस सप्ताह प्रधानमंत्री विशाखापत्तनम गए। चंद्रबाबू नायडू और उनके उप मुख्यमंत्री व जन सेना पार्टी के पवन कल्याण के साथ रोडशो किया और आंध्र के लिए कोई दो लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट लांच हुए।

इससे पहले केंद्र सरकार के बजट में राजधानी अमरावती के विकास के लिए आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपए की विशेष मदद मिली है।(PM Modi Naidu)

चंद्रबाबू नायडू का पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन से भारी निजी पंगा था। उस नाते जब जगन मोहन सरकार की अडानी ग्रुप पर मेहरबानी का अमेरिका में भंडाफोड़ हुआ तो लोगों को लगा चंद्रबाबू सरकार कार्रवाई करेगी।

लेकिन चंद्रबाबू सरकार में भी अडानी का जलवा कायम है। चंद्रबाबू की इस मेहरबानी के क्या मायने हैं, इसे समझा जा सकता है।

उन्होंने विशाखापत्तनम की सभा में नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में साफ कहा कि हमारे झंडे अलग अलग हैं लेकिन हम हैं एक!

also read: Makar Sankranti पर जरूर घूमें देश के ये 5 शहर, रहती है जबरदस्त धूम

इसलिए मोदी सरकार के प्रति चंद्रबाबू के रवैए को लेकर अटकलें व्यर्थ हैं। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण ने हिंदू राजनीति का जो झंडा उठाया है वह आगे भाजपा के काम का है।

इस सबका आगे तेलंगाना में भी असर होगा। तेलंगाना में टीआरएस के चंद्रशेखर राव सक्रिय होते हुए हैं।

मोटामोटी दक्षिण के पांचों राज्यों में क्षत्रपों (केरल में लेफ्ट मोर्चा के विजयन भी इसी कैटेगेरी में) का दबदबा उतना गड़बड़ाता हुआ नहीं है, जितना बगल के महाराष्ट्र में बिगड़ा है।

उद्धव ठाकरे, शरद पवार दोनों पूरी तरह हाशिए में चले गए हैं। दोनों के साथ वह हुआ है, जिसमें न इनके पास सोचने को कुछ है और न करने को।

नवीन पटनायक के साथ हादसा (PM Modi Naidu)

ऐसा हादसा ओडिशा में नवीन पटनायक के साथ भी हुआ। लेकिन हैरानी की बात है जो नवीन पटनायक 78 वर्ष की उम्र में बिना हो हल्ला के जमीनी राजनीति करते हुए हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले धारणा थी कि उनकी सेहत ठीक नहीं है। वे जमीनी राजनीति नहीं कर सकते हैं। मगर उन्होंने और उनकी पार्टी ने नतीजों को ले कर तथ्य एकत्र कर चुनाव आयोग को तथ्यों के साथ कायदे से शिकायत की।

नवीन पटनायक खुद जमीनी राजनीति करते हुए हैं। जिन लोगों से कथित तौर पर घिरे हुए थे, उन्हें एक तरफ करके नवीन पटनायक जमीनी राजनीति करते हुए हैं।

लोगों में ‘नवीन बाबू’ की चर्चा होने लगी है। कह सकते हैं क्षत्रपों में ईगो रहित नेता के नाते अकेले नवीन पटनायक है।

24 वर्ष लगातार मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके अहंकारी होने के कभी चर्चे नहीं थे और अब विपक्ष में हैं तो बिना ईगो के सहज भाव राजनीति करते हुए हैं।

बाकी क्षत्रपों में ममता बनर्जी, लालू-तेजस्वी, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव से ले कर कांग्रेस के क्षत्रपों पर यदि गौर करें तो भारत का, हम हिंदुओं का यह सत्य झलका हुआ होगा कि नेताओं की सर्वज्ञता तथा उनके देवदूत होने नियति हमारी सदा सनातनी है।

राजा, महाराजों के झगड़ों से लेकर आबाद भारत के नेताओं की अहंमन्यता और झगड़ों में ही नौ दिन चले अढ़ाई कोस का श्राप लिए हुए है।

Tags :

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *