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विश्व नेता, विश्वगुरू, विश्व मित्र!

जाहिर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पंडित नेहरू की विश्व शांति दूत, विश्व दृष्टा, विश्व नेता, विश्वगुरू, विश्व मित्र सब अपने जुमलों से है। आजाद भारत दुनिया का संभवतया अकेला देश है जिसके प्रधानमंत्रियों ने जुमलों की विदेश नीति बनाई और भारत के लोगों को भक्त बनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार के साथ जी-20 के विस्तार की बात भी कही है। भारत में होने वाले जी-20 के सालाना सम्मेलन में भी यह बात उठेगी। जी-20 देशों के अलावा जो मेहमान देश इस मौके पर भारत आ रहे हैं उनमें से कुछ को जी-20 के साथ जोड़ने की बात होगी। उससे भी यह मैसेज होगा कि भारत दुनिया का नेता बन रहा है। असल में यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वगुरू या विश्वमित्र बनने के प्रयासों का ही हिस्सा है।

 भारत में नौ और दस सितंबर को होने वाले जी-20 सम्मेलन से प्रधानमंत्री मोदी का जलवा बनेगा। दुनिया के सारे बड़े देशों के नेता इसमें हिस्सा लेंगे। अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों से लेकर यूरोपीय देशों के नेताओं तक और एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के बड़े देशों के नेता अपने लाव लश्कर के साथ तीन दिन तक दिल्ली में रहने वाले हैं। पूरी दिल्ली तीन दिन तक बंद रहेगी और कई दिन तक मीडिया में सिर्फ यही चलता रहेगा। भारत में कई बड़े कूटनीतिक और खेल आयोजन हो चुके हैं लेकिन जी-20 की सालाना बैठक की प्रस्तुति ऐसी होगी, जो भूतो न भविष्यति जैसी होगी। सोचें, जब प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मेलन के लिए बने नए कन्वेंशन सेंटर को ही भारत की सामर्थ्य का सबूत बता चुके हैं तो उस कन्वेंशन सेंटर में दुनिया के तमाम बड़े नेताओं की बैठक होगी तो उसे क्या कहा जाएगा? वह तो भारत के सामर्थ्य की पराकाष्ठा होगी!

इसके तुरंत बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा होगी। कहने की जरूरत नहीं है कि उन चुनावों में अपने आप यह मुद्दा बनेगा। भाजपा प्रधानमंत्री मोदी की विश्व नेता की छवि को लेकर चुनाव में जाएगी। जो नैरेटिव पहले से बनाया जा रहा है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया भारत को गंभीरता से लेती है और हर मंच पर भारत की बात सुनी जाती है और मोदी ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है, वह चुनावी मुद्दा बनेगा। कांग्रेस के नेता कहते रहें कि प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान या भारत के 140 करोड़ लोगों की वजह से है या महात्मा गांधी के देश का नेता होने की वजह से है या इसी तरह का सम्मान मनमोहन सिंह, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी को भी मिलता था, उसका ज्यादा असर नहीं होगा। क्योंकि 24 घंटे चलने वाला मीडिया और भाजपा की प्रोपेगेंडा मशीनरी जो बताएगी, लोगों को जो दिखाएगी उस पर ही लोग यकीन करेंगे। 

मोदी के विश्व नेता बनने के साथ उनके विदेश दौरों में हमेशा अर्थव्यवस्था और कारोबार का जिक्र होता है। प्रधानमंत्री बताते हैं कि दुनिया के देश भारत में निवेश के अवसर देख रहे हें, भारत दुनिया के विकास का इंजन बन रहा है, भारत में कारोबर सुगमता ऐसी हो गई है कि दुनिया भर के देश भारत में आकर कारोबार करना चाहते हैं। भारत उनके कार्यकाल में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है और जल्दी ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। यह सब बताने का मतलब होता कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी विदेश यात्राओं या दुनिया के नेताओं के साथ मिल कर भारत के 140 करोड़ लोगों के आर्थिक भविष्य के लिए काम कर रहे हैं और वह बेहतर हो रहा है। यह बहुत पावरफुल नैरेटिव है और लोगों की उम्मीदों को उनके साथ जोड़े रहने वाला है। इसलिए कूटनीति का राज्यों के चुनावों के साथ साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी असर दिखेगा। लोगों के दिमाग में यह बात रहेगी कि कुछ भी मोदी देश का नाम बढ़ा रहा है। 

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By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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