Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

ट्रंप का विश्वगुरू नाम क्यों नहीं लेते?

ट्रंप

भारत विश्वगुरू होने का दम भरता है। सरकार और भाजपा, संघ में जिसको देखिए यह डायलॉग बोलते मिलेगा कि दुनिया अब भारत की बात ज्यादा गंभीरता से सुनती है या भारत को गंभीरता से लिया जाता है। भारत को अब दुनिया में ज्यादा सम्मान मिलता है। सवाल है कि जब पहले से ज्यादा सम्मान मिलता है, पहले से ज्यादा गंभीरता से बात सुनी जाती है तो भारत अपनी बात सुनाता क्यों नहीं है? भारत ने किस मामले में दुनिया को अपनी बात सुनाई है?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत जीरो टैरिफ लागू करने के लिए सहमत है तो इसके जवाब में विदेश मंत्री से सिर्फ इतना कहते बना कि अभी व्यापार संधि नहीं हुई। जिस तरह ट्रंप ने कहा वैसे ही प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री या वाणिज्य मंत्री को कहना चाहिए था कि भारत जीरो टैरिफ नहीं लागू करने जा रहा है या भारत किसी हाल में जीरो टैरिफ के लिए राजी नहीं होगा। यह बात दो टूक कहनी चाहिए कि ट्रंप फालतू की बात कर रहे हैं। लेकिन किसी से ट्रंप का नाम लेते नहीं बना।

इसी तरह ट्रंप ने 10 मई की शाम साढ़े पांच बजे सोशल मीडिया पर ऐलान कर दिया कि पूरी रात अथक प्रयास के बाद भारत और पाकिस्तान को उन्होंने सीजफायर के लिए राजी कर लिया है। इसके बाद उनके उप राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी कहा कि सीजफायर पर सहमति बन गई है। सोचें, यह भारत के लिए कितनी शर्मिंदगी की बात थी! लेकिन भारत ने कुछ नहीं कहा। ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट के आधे घंटे बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री मीडिया के सामने आए और 42 सेकेंड में एक स्टेटमेंट देकर चले गए कि भारत और पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हो गए हैं।

ऐसा लगा, जैसे पूरे सत्ता प्रतिष्ठान को सांप सूंघ गया। क्या विश्वगुरू भारत को उसी समय यह नहीं कहना चाहिए था कि ट्रंप ने सीजफायर नहीं कराया है। इसके बाद 11 से 15 मई तक ट्रंप ने रोज कहा कि उन्होंने सीजफायर पर सहमति बनवाई या सीजफायर कराने में मदद की।

भारत की चुप्पी बनाम ट्रंप की बयानबाज़ी

इसमें उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों को व्यापार की धमकी दी और कहा कि सीजफायर करो नहीं तो व्यापार बंद कर देंगे। लेकिन भारत की ओर से किसी ही हिम्मत नहीं हुई कि वह कहे कि ट्रंप बकवास कर रहे हैं। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय की आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा गया कि सीजफायर की बातचीत में व्यापार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।

भारतीय मीडिया ने इसी बयान पर खबर चलाई कि भारत ने ट्रंप की बातों का खंडन किया। लेकिन इसके तुरंत बाद ट्रंप ने फिर कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा कि युद्ध छोड़ो, व्यापार करो। भारत की ओर से कथित तौर पर खंडन किए जाने के बाद ट्रंप दो बार यह बात कर चुके हैं। भारत ने एक बार भी सीजफायर या व्यापार की धमकी वाले मामले में उनका नाम नहीं लिया है।

इसके बाद ट्रंप ने कतर की राजधानी दोहा में कह दिया कि उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में एपल के उत्पाद बनाने की फैक्टरी लगाते हैं तो इसे बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इस पर भी भारत की ओर से किसी ने प्रतिक्रिया नहीं दी। किसी ने नहीं कहा कि ट्रंप दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी को धमकी दे रहे हैं और यह बेहद अलोकतांत्रिक व तानाशाही वाली बात है। भारत की ओर से भाजपा की सांसद कंगना रनौत ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाली, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर लिखा कि मोदी की वैश्विक लोकप्रियता से ट्रंप को ईर्ष्या हो रही है।

उन्होंने यह भी लिखा कि ट्रंप कूटनीतिक असुरक्षा का शिकार हो गए हैं। हालांकि उनकी यह पोस्ट ज्यादा लोगों ने नहीं देखी। बाद में उन्होंने एक पोस्ट डाल कर कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे पोस्ट डिलीट करने को कहा, जिसके बाद उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दी।

उन्होंने यह भी कहा कि पोस्ट में लिखी गई बात उनकी निजी राय थी। सोचें, ट्रंप का कैसा भय है, जो सरकार या सत्तारूढ़ पार्टी उनका नाम लेकर उन पर हमला नहीं कर सकती है और किसी सांसद ने सोशल मीडिया पोस्ट लिख दी तो उसे तत्काल डिलीट कराया गया यह कहते हुए यह सांसद की निजी राय थी। क्या यही विश्वगुरू होने की पहचान है?

Also Read: रूस और यूक्रेन की वार्ता बेनतीजा
Pic Credit: ANI

Exit mobile version