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2024 में धर्म से ज्यादा एआई का खेला!

2024 में धर्म से ज्यादा एआई का खेला!

यह शीर्षक न तो नरेंद्र मोदी को अजेय बताने के लिए है और न विपक्ष का मनोबल घटाने के लिए। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के खेला में मोदी के अप्रत्याशित जादू को लेकर एक अलर्ट है। मुझे खटका इसलिए हुआ क्योंकि 22 मई 2023 को भारत सरकार के सूचना-प्रसारण मंत्रालय के डीएवीपी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस/मशीनी दिमाग आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्मों से सेवाएं देने के लिए इम्पैनल होने का प्रस्ताव देने का अनुरोध (आरएफपी) किया। इसमें जुमला, Translation and voice localization for media-related activities का है। जाहिर है कंपनियों की एक नई इम्पैनल लिस्ट बना कर भाषण और शब्द (text to text, speech to text, text to speech, speech to speech and audio localization) को लेकर कृत्रिम बुद्धि से अलग-अलग प्रोडक्ट डेवलप करवाने का एक मकसद। पर लगता है असल मकसद एआई की ऐसी कंपनियों की चेन बनाना है, जो चुनाव के समय चुपचाप प्रोप्रेगेंडा वीडियो, फोटो, ऑडिया क्लिप बना कर प्रसारित करें। तभी नरेंद्र मोदी की प्रोपेगेंडा टीम के दिमाग की तारीफ करनी होगी कि जो काम अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की सरकारों ने भी अपने सूचना तंत्र में शुरू नहीं करवाया होगा वह सूचना मंत्रालय कराता हुआ है। दिखावे के लिए नरेंद्र मोदी के भाषणों के अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद, की-वर्ड अनुसार अलग-अलग थीम के क्लिप आदि का सरकारी मिशन होगा। आखिर प्रधानमंत्री व सरकार के नाम पर यह सब जायज भी है। मगर असली मकसद भारत में एआई नाम की दुकानें बना देना ताकि वे एकतरफा भाजपा  के लिए काम करें। प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर।

इसलिए मैं मानता हूं कि नरेंद्र मोदी की ओर से मशीनी बुद्धि (एआई) भी 2024 का चुनाव लड़ेगी। विपक्ष को पता ही नहीं पड़ेगा और चुनाव के माहौल में अचानक ऐसे-ऐसे वीडियो-पोस्ट-फोटो का हल्ला बनेगा कि भारत का हर मतदाता मानेगा कि अरे, देखो, केजरीवाल तो रियल भ्रष्ट है। देखो, कैसे वह एक शराब व्यापारी से बात करते हुए, उससे रिश्वत मांग रहा है। देखो इस वीडियो को। देखो, वह अपने शाही मकान में महिला के साथ रंगरेलियां भी मना रहा है! देखो, नीतीश कुमार, मुसलमान वोटों के लिए मौलाना के आगे गिड़गिड़ा रहा है। यह सब केजरीवाल और नीतीश कुमार की रियल आवाज और रियल शरीर के वीडियो में! ऐसे ही तब तमाम तरह के ईडी-सीबीआई के छापों के, उनके जुटाए सबूत भी वीडियो पर चलते हुए होंगे। जैसे अशोक गहलोत के घर में वैभव गहलोत अपने कमरे में नोटों के ढेर के साथ तो भूपेश बघेल की फलां-फलां उद्योगपति के साथ पैसे की लेन देन की सीधी-सीधी बातचीत।

इतना ही नहीं राहुल गांधी-प्रियंका देश को बेचने के लिए आईएसआई, चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के नामी चेहरों से बात करते हुए। ममता बनर्जी, उनके भतीजे अभिषेक से लेकर अखिलेश यादव, तेजस्वी, हेमंत सोरेन के करोड़ों की नकदी के साथ के फोटो तो कई विपक्षी नेताओं, मुख्यमंत्रियों के महिलाओं के साथ रंगरेलियां मनाते हुए वीडियो, फोटो और ऑडियो क्लिप! इनका भाजपा से अधिकारिक तौर पर कोई लेना-देना नहीं। गुमनाम सोर्स से आता कंटेंट।

नोट करें, यह सब काम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मशीनी दिमाग से चुटकियों में हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति की, मेरी और आपकी भी एक फोटो लेकर, आवाज का एक नमूना लेकर मशीनी दिमाग वह लाइव फोटो, लंबा भाषण, लंबी बातचीत बना कर ऑटोमेटिक, बॉट के गुमनाम अकाउंट से सोशल मीडिया में डाल देगा और चुटकियों में देश राहुल गांधी को कोकिन के नशे में झूमता हुआ देखेगा तो वही भगवान राम प्रधानमंत्री निवास में पहुंच कर नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए, कहते हुए होंगे कि भक्त, तुमने मेरा मंदिर बनाया, तुम्हें मेरा आशीर्वाद। ध्यान रहे मशीनी दिमाग भगवान राम की सभी इमेजों में से एक वह बेस्ट साक्षात रूप बनाए हुए होगा, जो हिंदुओं के दिल-दिमाग में गहरे उतरी हुई है। भक्त उनकी साक्षात फील में अभिभूत होंगे!

हां, तभी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मानव अस्तित्व के लिए खतरा है। लोगों को पता ही नहीं पड़ना है कि क्या सच है और क्या झूठ। वह वक्त दूर नहीं है जब ईडी-सीबीआई–पुलिस के अफसर एआई मशीन को कहेंगे कि फलां व्यक्ति या नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर कमांड देंगे कि इनके अपराधों के वीडियो, फोटो, ऑडियो, कागजी सबूत दो तो मशीन चुटकियों में आज के इन सत्तावान नेताओं के सैकड़ों प्रमाण कंप्यूटर से निकालते हुए इतिहास लिखवाए। तब कोर्ट में इन्हें नकली, दिमागी मशीन, एआई की प्रोडक्ट साबित करते रहो कौन सुनने वाला है? मशीनी दिमाग जो चाहेगा, वह होगा। सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस हो या कोई कैबिनेट सचिव या कोई रामदेव या अन्ना हजारे सब का सत्य मशीन तुरंत सप्रमाण झूठ करार देगी।

विषयांतर हो गया। दस साल बाद का सिनेरियो बतला दे रहा हूं। 2024 के लोकसभा चुनाव पर लौटें। मोदी क्योंकि पीएम हैं, उन्हें हर हाल में चुनाव जीतना है और पैसा अथाह है तो एआई तकनीक के चुनावी उपयोग में उन्हीं की मोनोपॉली होनी है। इससे वह सब होगा, जिससे अपने आप घर-घर वीडियो, फोटो, ऑडियो पहुंचेंगे, जिन्हें देख-सुन कर लोग मानेंगे कि विपक्ष कितना पतित, भ्रष्ट, दुराचारी तथा देशद्रोही है।

हर चुनाव का अनुभव है कि नरेंद्र मोदी हर चुनाव झूठ के बूते लड़ते हैं। और अब चुनावी झूठों की गंगोत्री को वह मशीन मिल गई है, जिससे चुनाव के वक्त आर्टिफिशियल दिमाग से फैक्टरी की तरह विपक्ष को कलंकित करने के कथित प्रामाणिक वीडियो, ऑडियो, फोटो, सबूतों की बाढ़ होगी। विपक्ष की तैयारियां बह जाएंगी। न चुनाव आयोग रोकने वाला है और न इनका नोटिस लेने वाला है।

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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