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एआई से मोदी के लौह नेतृत्व का जयकारा

दूसरा मुद्दा नरेंद्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व का होगा। वैसे भी देश में यह नैरेटिव बनाया जा चुका है कि मोदी नहीं तो कौन? क्या फलां को बना दें, जो पप्पू है या फलां को बना दे, जो भ्रष्ट है? या फलां को बना दे, जो परिवारवादी है? इन सवालों से मोदी के नेतृत्व को सबसे ऊपर स्थापित किया गया है। उनकी विश्वगुरू की छवि बनाई गई है। इस महीने अमेरिका की उनकी यात्रा से उनके विश्वगुरू होने का जो प्रचार होगा वह किसी न किसी रूप में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव तक चलता रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी अगले सप्ताह अमेरिका के चार दिन के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान जो कार्यक्रम होना है वह अद्भुत है। राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने 21 जून को मोदी के लिए अपने घर पर यानी व्हाइट हाउस में रात्रिभोज का आयोजन किया है। प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों के साझा सत्र को संबोधित करेंगे। वे अपने नौ साल के कार्यकाल में दूसरी बार ऐसा करने वाले हैं। 22 जून को प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में स्टेट डिनर का आयोजन होगा। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने विश्व योग दिवस के मौके पर होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वे चार दिन की इस यात्रा में वाशिंगटन में भारतीय मूल के लोगों को भी संबोधित करेंगे। इस दौरान हजारों करोड़ रुपए के हथियार खरीदने का करार अमेरिका से होगा। चार दिन के इस कार्यक्रम का प्रचार अभी से शुरू हो गया है। भाजपा और मीडिया दोनों के लिए यह बहुत बड़ा इवेंट होगा।

वैसे सचमुच मोदी की अमेरिकी यात्रा ऐतिहासिक है। भारत का रूस तथा चीन से पिंड छूट रहा है। जैसा मैं लिखता आ रहा हूं कि पश्चिमी देशों को चीन-रूस के काउंटर में येन केन प्रकारेण भारत को अपने पाले में लेना है भले इसके लिए नरेंद्र मोदी की महिमा बनाने के लिए जी-7 ग्रुप के नेता किसी भी सीमा तक जाएं। इसलिए वाशिंगटन में भारत से करीबी बताने की हर कवायद होगी। भारत को भरोसेमंद मान अमेरिका अरबों डॉलर के हथियार व आधुनिक तकनीक बेचने को तैयार हो गया है। मैं पश्चिमी सभ्यता व भारत के साझे का पक्षधर रहा हूं सो मैं मोदी की इस यात्रा को विदेश नीति का ठोस टर्निंग प्वांइट मानता हूं। संभवयता यह पीवी नरसिंह राव, डॉ. मनमोहन सिंह के बनाए रोडमैप की आखिरी व स्थायी मंजिल हो।

और ऐसा होना नरेंद्र मोदी की मजबूत व विश्व नेता होने की तूताड़ी के नए राग का आंरभ होगा। वे अमेरिका से लौटेंगे तो भारत में उनका वैसे ही भव्य स्वागत होगा, जैसा पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद हुआ था। उसके बाद भारत की मेजबानी में होने वाली जी-20 की बैठक के प्रचार का अभियान चलेगा। सितंबर में दुनिया भर के तमाम शक्तिशाली मुल्कों के नेता भारत में जुटेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटेन, जापान, कनाडा के प्रधानमंत्री से लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग तक सबको एक साथ भारत में मौजूद रहना है। हिसाब से यह एक सामान्य- मामूली प्रक्रिया है। पिछले साल सारे नेता इंडोनेशिया में जुटे थे। लेकिन भारत में इन नेताओं के आने का प्रचार ऐसा होगा, जैसे मोदी के प्रताप से सारे नेता भारत की धरती पर उतरे हैं। मोदी के विश्व गुरू होने की छवि में चार चांद वाला कार्यक्रम होगा। सितंबर में इस कार्यक्रम के समापन के बाद पांच राज्यों में चुनाव अभियान शुरू हो जाएगा, जिसमें प्रचार की पूरी थीम शक्तिशाली भारत और विश्वगुरू नरेंद्र मोदी के ऊपर केंद्रित होगी। इन चुनावों के प्रचार से जो माहौल बनेगा वह अगले साल के लोकसभा चुनाव तक मशीनी दिमाग, एआई प्राडक्टों से फैलेगा। साथ ही अमृतकाल का नैरेटिव बनाया जाएगा। भाजपा दावा कर रही है कि अगले 25 साल में यानी आजादी के सौ साल पूरे होने तक भारत एक विकसित देश बन जाएगा और ऐसा मोदी की वजह से होगा।

प्रधानमंत्री की विश्वगुरू वाली छवि के साथ साथ उनकी एक मजबूत और ईमानदार नेता की छवि भी उभारी जाएगी। इसके लिए विपक्षी नेताओं के खिलाफ हो रही कार्रवाइयों को और तेज किया जाने वाला है। मोदी के 10 साल के कार्यकाल को सफेद, उजला दिखाने के लिए जरूरी है कि विपक्षी नेताओं के कामकाज पर भ्रष्टाचार का दाग लगे। कुछ नेता पहले से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं। उनके खिलाफ पुराने मामलों में चल रही कार्रवाई तेज होगी। जिनके खिलाफ पहले से मुकदमे नहीं हैं उनके खिलाफ नए मामले सामने आ सकते हैं। इस तरह मोदी की दुनिया के सबसे लोकप्रिय, निर्णायक और ईमानदार नेता की छवि का प्रचार होगा। सोचे, इस सबके मुकाबले में विपक्षी नेताओं का क्या होगा?

Published by हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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