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मुफ्त की रेवड़ियां भी बटेंगी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय विपक्षी पार्टियों की ओर से किए जाने वाले वादों को ‘मुफ्त की रेवड़ी’ कहा था। उन्होंने कई बार कहा कि इससे अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। हाल में कर्नाटक के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा था कि कर्नाटक का खजाना खाली हो जाएगा लेकिन कांग्रेस के वादे नहीं पूरे होंगे। लेकिन वहां भाजपा के बुरी तरह से हारने के बाद भाजपा भी इस तरह की योजनाओं की जरूरत महसूस करने लगी है। कर्नाटक में कांग्रेस ने महिलाओं को दो हजार रुपए महीना देने का वादा किया था, जिसका भाजपा ने विरोध किया था लेकिन वहां के नतीजों के बाद मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने लाड़ली बहन योजना के तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने की योजना शुरू कर दी है।

वैसे केंद्र सरकार पहले से कई वस्तुएं और सेवाएं लोगों को मुफ्त में दे रही है और हिमाचल व कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद इनमें इजाफा किया जा सकता है। केंद्र सरकार देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त अनाज की सुविधा दे रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और खाद्य सुरक्षा कानून को मिला कर एक योजना बनाई गई है, जिसके तहत अगले साल के चुनाव के बाद तक लोगों को पांच किलो अनाज मुफ्त मिलता रहेगा। अभी से इसका प्रचार शुरू हो गया है। अखबारों में और सोशल मीडिया में विज्ञापन देकर बताया जा रहा है कि मोदी सरकार 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अनाज दे रही है। हालांकि इसके बरक्स एक दूसरा नैरेटिव भी बनाया जा रहा है कि यह कोई गर्व की नहीं, बल्कि शर्म की बात है कि नौ साल के राज में गरीबी इतनी बढ़ी कि 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त अनाज देने की जरूरत है। इस काउंटर नैरेटिव के बावजूद भाजपा इसका प्रचार करेगी क्योंकि सरकारी योजनाओं के लाभार्थी उसके बड़े वोटर हैं, जिनको नमकहलाल वोटर भी कहा जा सकता है।

इसी तरह केंद्र सरकार किसान सम्मान निधि का भी प्रचार करेगी। इस योजना के तहत किसानों को हर चार महीने पर दो हजार रुपए की किश्त जाती है। इस तरह एक साल में छह हजार रुपए किसानों को मिलते हैं। बताया जा रहा है कि इस साल चुनाव से पहले बजट सत्र में सरकार जब लेखानुदान पेश करेगी तब वह किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी कर सकती है। बताया जा रहा है कि छह हजार रुपए सालाना की रकम को बढ़ा कर आठ हजार रुपए किया जा सकता है। इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बांट रही है और रोजगार मेला लगा कर नौकरियां बांटी जा रही हैं। सरकार ने ऐलान किया है कि इस साल दिसंबर तक 10 लाख नौकरियां दी जाएंगी। इस योजना के तहत लगभग हर महीने रोजगार मेला आयोजित किया जा रहा है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करते हैं और 70-75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों की सरकारों ने अपनी अपनी योजनाएं अलग चला रखी हैं, जिसके लाभार्थियों की संख्या करोड़ों में है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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