मध्यप्रदेश में पार्टी की पतली हालात के खुलासे के बाद भाजपा को इसका समाधान बाग़ियों में दिख रहा है। तभी अब भाजपा बाग़ियों को न सिर्फ़ पुचकारने की तैयारी में है बल्कि वह उन्हें सुविधा सम्पन्न भी करेगी ताकि पार्टी को इसका चुनावी फ़ायदा मिल सके। पिछले दिनों इस सूबे कराए गए अपने सर्वे ने पार्टी को मामा यानी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पतली होती हालत और एंटी इनकमबेंसी ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। कर्नाटक हारने के बाद भाजपा को यह सूबा हाथ से लिखता दिखने लगा है। तभी यहां सर्वे कराया गया था लेकिन शिवराज का विकल्प नहीं मिलने के चलते पार्टी को बाग़ियों में विकल्प दिख रहा है, ख़ासतौर से कांग्रेस के बाग़ियों में। यह अलग बात है कि कांग्रेस के बाग़ियों के अलावा भाजपा बुंदेलखंड में भी बसपा में हुए विद्रोह पर भी ध्यान लगाए हैं।
और यहाँ भी विरोधियों को आर्थिक रूप से मज़बूत कर उनसे राजनीतिक फ़ायदा उठाने की जुगत में है बावजूद इसके पार्टी का कांग्रेस के बाग़ियों पर ही केन्द्रित होता बताया जा रहा है। चर्चा तो है कि सूबे में जहां-जहां कांग्रेस के बाग़ी मैदान में हैं वहाँ पार्टी उनकी हर तरह से मदद करेगी। और साथ ही जहां भी कांग्रेस के मज़बूत उम्मीदवार मैदान में होंगे वहाँ पार्टी के दमदार उम्मीदवारों को बेहतर आर्थिक मदद देकर चुनाव लड़ाया जाए ताकि वे कांग्रेस के अपने उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ मज़बूती से लड़ सकें और किसी भी हालत में कांग्रेस को यहाँ रोक सकें। अब वोटरों के बीच भरोसा खो चुकी मामा की सरकार और भाजपा संगठन क्या -क्या तिकडम कर चुनाव जीतने की कोशिश में होगी यह तो वक्त की बात है पर यह ज़रूर है कि इस बार भाजपा का यहाँ चुनाव लड़ने में दम ज़रूर फूलता दिख रहा है।