भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा और कांग्रेस पहली बार सख्त रूप से सर्वे के आधार पर ही टिकट देने का मन बना चुकी है। दोनों ही दलों के मौजूदा विधायकों में से अधिकांश की सर्वे रिपोर्ट अनुकूल नहीं बताई जा रही है। यही कारण है विधायक के बीच सन्नाटे की स्थिति है।
दरअसल, इस बार टिकट वितरण के समय “ना तेरा ना मेरा सर्वे ही सर्वेसर्वा” का मूल मंत्र लेकर दोनों ही प्रमुख दल आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 6 महीने से विधायक और मंत्री अपने अपने क्षेत्र में सक्रिय है क्योंकि सभी को बहुत पहले से इशारा कर दिया गया था कि सर्वे के आधार पर ही टिकट वितरण किए जाएंगे। चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता हो। यदि सर्वे में जीत की गारंटी नहीं है तो कोई टिकट नहीं दिला पाएगा। कुछ विधायक और मंत्रियों ने अपनी कार्यशैली भी बदली स्वभाव में विनम्रता ले आए और जो भी आवेदक आया उसके काम भी करने लगे लेकिन कहीं-कहीं मतदाताओं में इतनी जड़ता आ गई है कि वे चंद दिनों के लिए बदले हुए स्वभाव पर विश्वास नहीं कर रहे और अनुभव के आधार पर धारणा बनाए हुए हैं। यही कारण है उनकी सर्वे रिपोर्ट सुधर नहीं पा रही है।
बहरहाल, जीतने वाले को टिकट देने की राजनीति में परंपरा पुरानी है लेकिन जब किसी भी दल की लहर चलती है तब किसी को भी टिकट टिकट दिया जाता रहा है। तब सर्वे रिपोर्ट एक तरफ रख दी जाती थी क्योंकि पार्टी के चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार जीतना है लेकिन प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थितियों बदल गई है और कशमकश की स्थिति में दोनों ही दल एक नहीं बल्कि विभिन्न एजेंसियों लगातार सर्वे कर रहे हैं और अपने विधायकों को इशारा भी कर रहे हैं लेकिन अब फाइनल इशारा देने की घड़ी आ गई है। सत्तारूढ़ दल भाजपा में बहुत जल्द ही विधायकों से वन-टू-वन किया जाएगा। जिसमें विधायकों को उनकी सर्वे रिपोर्ट से अवगत कराया जाएगा और बता दिया जाएगा कि आपको टिकट नहीं दिया जा रहा है। संभाग स्तर पर या लोकसभा क्षेत्र के स्तर पर विधायकों को बुलाया जाएगा और उन्हें हकीकत से अवगत कराया जाएगा। कोई विधायक या मंत्री यदि पूरे दावे और प्रमाणों के साथ कहता है कि वह अगले एक माह में अपने स्थिति सुधार लेगा तो पार्टी नेता आपस में तय करके एक मौका और दे सकते हैं। अन्यथा टिकट कटना तय है क्योंकि इस बार किसी की सिफारिश नहीं चलेगी जिस तरह से गुजरात में भाजपा विधायकों के टिकट काटे गए थे लगभग उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी तैयारी है क्योंकि आधे से ज्यादा विधायकों की सर्वे रिपोर्ट पार्टी के अनुकूल नहीं है।
पार्टी 16 जुलाई से 14 अगस्त तक विकास पर्व मनाने जा रही है जिसमें भूमि पूजन और लोकार्पण किया जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अधिकांश जगह जाने की कोशिश करेंगे। विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब विधायकों से पूछा की कौन-कौन चुनाव जीत रहा है तो बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर कहा कि वे भी चुनाव जीत रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा अच्छे से तय कर ले इस बार केवल जीतने वालों को ही टिकट मिलेगा। इसलिए अभी भी पूरी ताकत लगा दे। यदि कहीं कोई कमजोरी हो तो उसे ठीक कर ले इसके पहले की बैठकों में भी सत्ता और संगठन विधायकों को परफॉर्मेंस सुधारने के लिए चेतावनी दे चुका है। अधिकांश विधायक कौन है परफॉर्मेंस सुधारने के प्रयास भी किए हैं लेकिन कहीं-कहीं प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। इस कारण संभावना बढ़ गई है। अधिकांश विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। यदि अगले दो महीना में जीत की गारंटी वाले सर्व नहीं आए तो फिर कोई नहीं बचा पायेगा क्योंकि जीत ही टिकट की गारंटी है।कुल मिलाकर जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं विधायकों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पहले दौर में टिकट का तो दूसरे दौर में चुनाव जीतने का इस बार टिकट हासिल करना काफी मुश्किल हो गया है क्योंकि टिकट सिफारिश पर नहीं टिकट परफॉर्मेंस के आधार पर मिलेंगे। यही कारण है की विधायकों के बीच सर्वे का सन्नाटा है।