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राज्यों के बंटवारे को हवा मिलेगी

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अनायास नहीं है जो मणिपुर में तीन मई से शुरू हुई हिंसा के दो महीने पूरे होने के बाद राज्य के बंटवारे की मांग तेज हो गई है। ऐसा लग रहा है कि कुछ लोग इस इंतजार में बैठे थे कि राज्य में हिंसा हो और कुकी व मैती समुदाय के बीच तनाव बढ़े तो राज्य के बंटवारे की मांग उठाएं। अब कुकी आदिवासियों के संगठन केआईएम ने अलग कुकी राज्य बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कुकी और मैती के बीच अविश्वास इतना बढ़ गया है कि अब दोनों साथ नहीं रह सकते हैं। अगर दोनों साथ रहे तो हिंसा चलती रहेगी। ध्यान रहे जहां भी एक बार इस तरह की बात शुरू हो जाती है तो वह बात समाप्त नहीं होती है। वह चलती जाती है और समुदायों के बीच खाई गहरी होती जाती है।

मणिपुर के नगा भाषी लोगों के क्षेत्र को नगालैंड में मिला कर वृहत्तर नगालिम बनाने की मांग दशकों से चल रही है। अलग कुकी राज्य की मांग के साथ ही वृहत्तर नगालिम की मांग तेज हो जाए तो हैरानी नहीं होगी। उधर त्रिपुरा में पहले ही टिपरा मोथा ने अलग राज्य की मांग रखी है। हैरानी की बात है कि टिपरा मोथा के नेता प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन की कई बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात हुई है। उनकी पार्टी अलग ग्रेटर टिपरालैंड की मांग करती है। पहले भाजपा ने इस मांग को खारिज कर दिया था लेकिन चुनाव के बाद भाजपा ने टिपरा मोथा के साथ तालमेल किया। प्रद्योत देब बर्मन की पार्टी ने भाजपा की सरकार को समर्थन किया। एक दूसरी आदिवासी पार्टी पहले से भाजपा के समर्थन में है। पिछले चुनाव में टिपरा मोथा ने 42 उम्मीदवार उतारे थे और 13 सीटों पर जीत हासिल की। इससे पार्टी नेताओं का हौसला बढ़ा है और वे अलग राज्य की मांग तेज कर रहे हैं।

इसी तरह पश्चिम बंगाल में भी विभाजन की मांग तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा इस मांग को हवा दे रही है। सोचें, क्या संयोग है कि भाजपा की सरकार में मणिपुर में हिंदू बनाम कुकी आदिवासी का विवाद चल रहा है और अलग आदिवासी राज्य की मांग उठी है। इसी तरह त्रिपुरा में भाजपा की सरकार में अलग आदिवासी राज्य की मांग करने वाली पार्टी भाजपा के साथ है और हिंदुओं से अलग आदिवासी राज्य की मांग जोर पकड़ रही है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी उत्तरी बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। भाजपा के एक सांसद ने पहले इसकी मांग की थी, जिसका तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया। अब अलग राज्य के जोरदार समर्थक अनंत राय महाराज को भाजपा ने राज्यसभा भेजा है। ध्यान रहे भाजपा को पश्चिम बंगाल में पहली बार राज्यसभा की सीट मिली तो उसने कूचबिहार के पुराने राजघराने के व्यक्ति अनंत राय महाराज को उम्मीदवार बनाया। उस इलाके में करीब 30 फीसदी राजबंशी समुदाय के लोग हैं, जो अनुसूचित जनजाति के तहत आते हैं। यानी पश्चिम बंगाल के एक हिस्से में भी हिंदू बनाम आदिवासी का विवाद बढ़ रहा है और भाजपा ने आदिवासी समुदाय के अनंत राय महाराज को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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