भोपाल। देश पर पिछले 9 सालों से राज कर रही भारतीय जनता पार्टी के “सर्व लोकमान्य नेता” प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी की नजर इन दिनों देश की गैर भाजपा राज्य सरकारों पर है, वह अगले 8 महीनों के बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले “चक्रवर्ती सम्राट” बनने का सपना साकार करना चाहते हैं, उसी हिसाब से उन्होंने महाराष्ट्र से अपने अभियान की शुरुआत कर दी है, महाराष्ट्र के बाद राजस्थान व छत्तीसगढ़ उनके एजेंडे में हैं, यहां मध्य प्रदेश के साथ अगले 200 दिनों में विधानसभा चुनाव होना है, महाराष्ट्र में भाजपा जिस तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस को मोहरा बनाकर राजनीतिक खेल खेल रही है, वही अध्याय वह प्रति पक्षी दलों को एकजुट करने का सपना देखने वाले नेता नीतीश कुमार के बिहार में भी शुरू करने की तैयारी कर रही है, संभव है महाराष्ट्र व बिहार के बाद अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली आदि का नंबर लग जाए?
आज जो देश की राजनीतिक स्थिति है वैसी कभी-कभी ही सामने आती है, इंदिरा गांधी की आंधी के बाद अब देश में “मोदी की आंधी” का दौर है, 80 के दशक में तो इंदिरा जी के सामने जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी के रूप में जन्म लेने वाली पार्टी की चुनौती थी, यद्यपि पार्टी अल्प आयु थी किंतु तब उसके नेता अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी काफी अनुभवी व शक्तिमान नेता थे, किंतु आज मोदी जी के सामने ऐसी कोई चुनौती नहीं है, ना कांग्रेस उस समय जैसी शक्तिमान रही है और ना ही अन्य कोई राजनीतिक दल इसलिए यदि यह कहा जाए कि मोदी जी के सामने अपना वर्चस्व कायम करने के सामने कोई सक्षम चुनौती नहीं है तो कतई गलत नहीं होगा, लेकिन मोदी जी को इस मामले में जल्दबाजी से काम नहीं लेना चाहिए, यह माना कि लोकसभा चुनाव में केवल 200 दिन बचे हैं किंतु इस समय मोदी जी की प्राथमिकता में पूरा देश नहीं बल्कि 100 दिन बाद होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्य होना चाहिए, विशेषकर छत्तीसगढ़ और राजस्थान जहां कांग्रेस की सरकारें हैं, मध्यप्रदेश तो उनका ही है और आगे भी उनका ही रहेगाI
ऐसी संभावनाएं बलवती है इन राज्यों की विधानसभाओं पर कब्जा करने के बाद पूरे देश पर कब्जा करने के लिए फिर भी 100 दिन से अधिक का समय शेष रहेगा, जो मोदी जी जैसे नेता के लिए पर्याप्त होगा, लेकिन इससे पहले इन विधानसभा चुनावी राज्यों के वोटरों पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है, विशेषकर मध्य प्रदेश जैसे राज्य पर जहां पिछले 15 से भी अधिक सालों से भाजपा की सरकार हैं और एक ही मुख्यमंत्री कार्यरत है अब राजनेता चाहे कितना ही सक्षम व गुणवान क्यों ना हो? उसके लंबी अवधि वाले राज में कुछ तो विसंगतियां पैदा हो ही जाती है और आम मतदाता के दिल दिमाग में भी “रोटी को जलने से बचाने के लिए उसे पलटने” की भावना जागृत हो जाती है, मतदाता तो छोड़ो सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के ही सत्ता की लालसा तीव्र रूप धारण कर लेती है, इसलिए यदि अगले विधानसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश जैसे राज्य के सत्ता व संगठन के नेतृत्व में कुछ परिवर्तन कर दिया जाता है तो वह पार्टी के लिए काफी हितकर होगा।
इस प्रकार कुल मिलाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इन मुद्दों पर तत्काल ध्यान देकर यथाशीघ्र फैसला लेना चाहिए, क्योंकि इस फैसले में जितनी देरी होगी उतनी ही वह सत्तारूढ़ पार्टी के लिए घातक होगा, मोदी जी ने दो दिन पहले मेरे सुझाव इस मुद्दे पर ध्यान देना शुरू किया और चिंतन शुरू किया वह पार्टी के लिए हितकर ही सिद्ध होगा।