जौनपुर। फार्मेसी का एसएन कॉलेज और भोजपुरी फिल्म के शूटिंग सेट पर नौजवानों की भीड़। बतौर लीड एक्टर समर सिंह सभी के आकर्षण का केंद्र। वे समर सिंह, जो अखिलेश यादव के समर्थक हैं और जिनका समाजवादी पार्टी के लिए गाया गाना यू ट्यूब पर धमाल मचाए हुए है। उनके साथ फिल्म में अलग-अलग चरित्र निभाते कई एक्टर। फुरसत हुई तो चुनावी मूड को लेकर बात शुरू हुई और ज्यों-ज्यों उनकी आपसी चखचख आगे बढ़ी तो फिर लगा नई जेनरेशन हर उस मसले पर पकी हुई है, जिसे सालों से हर दिन, सुबह-शाम टीवी चैनलों से परोसा जा रहा है। up assembly election yogi
फिल्म शूटिग में बंदोबस्त और कोऑर्डिनेशन का काम संभाले हुए जय मिश्रा, योगी राज से पहले बहुत कुछ करता हुआ था। मगर योगी सरकार बनी तो उसका काम चला नहीं, काफी नुकसान भी हुआ। बावजूद इसके उसने चुनाव को ले कर मजबूती से कहा- देखिए…सीधा सीधा है, बात राष्ट्रवाद की है।
इसलिए उसका समर्थन और वोट राष्ट्रवाद को। वह अकेला यह कहने वाला नहीं था, बहुसंख्यक नौजवान लड़के मोदी और योगी के कट्टर समर्थक थे। सभी के लिए राष्ट्रवाद बहुत बड़ी बात।
इनसे असहमति का एक सुर बीकॉम कर रहे 19 साल सिद्धार्थ मिश्रा का सुनाई दिया। वह समाजवादी और कांग्रेस का समर्थक और बाकी लड़कों को सुन कर बोला- अंध भक्ति.. इन लोगों को कुछ पता नहीं, सिर्फ अंध भक्ति है। दूसरे लड़के असहमत और उस पर गुस्सा करते हुए।
सवाल किया आखिर दोनों (मोदी-योगी) के मुरीद होने का क्या कारण?
एक ने कहा- किसी और ने कभी हिम्मत क्यों नहीं की राम मंदिर बनाने की?
दूसरे ने कहा- कश्मीर में देखिए क्या हो गया…
“हिंदुत्व” का अर्थ है “राष्ट्रवाद”.. यह जवाब जय मिश्रा का था।
जाहिर है “कश्मीर में क्या हो गया” या “क्या है हिंदुत्व” जैसे हर वाक्य की यूथ दलील इतने भरोसे और निश्चय के साथ हुई कि उसके बाद सोचने या बहस और मन टटोलने की जरूरत नहीं बचती।
अब ऐसा है तो है। रियलिटी है। मोदी-योगी का जादू इन नौजवानों के लिए दुनिया जीते हुए होना है। हर कोई यह ज्ञान और अनुभव लिए हुए है कि मोदीजी की लीडरशीप के कारण भारत की विश्व प्रतिष्ठा बनी है। दुनिया के नेता मोदीजी से सलाह करते हैं। पिछले सात वर्षों में भारत की प्रतिष्ठा इतनी अधिक बढ़ी है कि उससे पहले वैसा कभी नहीं हुआ।
लोकल इश्यू, जीवन की समस्याओं, बेरोजगारी और भविष्य की चिंता जैसा कोई मसला चुनाव में सोचने लायक नहीं। यूपी में ‘भक्त नौजवान’ बिना चिंता के है। वह न भविष्य पर विचार करता हुआ है और न जो गुजरा है या जो वर्तमान है उस पर सोचता हुआ है।
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महामारी की दूसरी लहर में जौनपुर जनपद भी वैसे ही प्रभावित था जैसे बाकी शहर और कस्बे थे। कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को गंवाया। कई लोग अभी भी कोरोना के उस वक्त को याद करते हैं। मगर जैसा की आदर्श तिवारी ने कहा- मैरे घर में भी मृत्यु हुई, मगर प्रदेश या केंद्र सरकार को क्यों दोषी मानना चाहिए। फिर दलील दी- कोई पिछली सरकार महामारी को वैसे मैनेज नहीं कर सकती थी जैसे नरेंद्र मोदी ने किया है। वक्त पर लॉकडाउन से फायदा हुआ क्योंकि वायरस गांवों में नहीं गया।
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नौजवान अलग-अलग जातियों और अलग-अलग पृष्ठभूमि के। एक ब्राह्मण यूथ मोदी-योगी के हिंदुत्व का गान गाते हुए तो जब उससे पूछा हिंदुत्व से मतलब तो जवाब नहीं। एक दूसरा ब्राह्मण यूथ इस कारण कांग्रेस का समर्थन करता मिला क्योंकि उसका परिवार पारंपरिक तौर पर कांग्रेस को वोट देता रहा है।
उसकी इस बात पर 20 वर्षीय प्रखर मौर्य ने कहा– यह परिवारवाद करता है… हम परिवारवाद के खिलाफ हैं। मौर्य किसान परिवार से है और कृषि में बीएससी कर रहा है और उसका मोदी-योगी का समर्थक होना इसलिए है क्योंकि वह परिवारवाद का विरोधी है।
तो परिवारवाद का हल्ला भी यूथ दिमाग में मूड बनवाए हुए!
जौनपुर में वोट देने की उम्र में पहुंची लड़कों की नई पीढ़ी को सुनने-जानने का लब्बोलुआब? ‘अंध भक्ति’ से संस्कारित है नई पीढ़ी! ये व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया के अपने ज्ञान में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ से न्यू इंडिया का नया इतिहास लिखा हुआ जान चुके हैं। इनका चुनावी मूड तयशुदा और निश्चित खांचे में है। up assembly election yogi