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सिराथू में केशव मौर्य का पसीना छूटा!

सिराथू। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की उम्मीदवारी से सुर्खियों में आई सिराथू सीट पर रविवार को मतदान सस्पेंस में खत्म हुआ। मतदाताओं से सभी ओर कांटे का मुकाबला सुनने को मिला। प्रचार जब शुरू हुआ था तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि केशव प्रसाद को इतनी मेहनत करनी होगी और उनसे चुनाव लड़ने को अनिच्छुक पल्लवी पटेल के मुकाबले में आने से हाथ-पांव फूल जाएंगे। वोट डालने से पहले ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा- उनका भी गुंडा राज है… और हमारे लिए हो क्या रहा है? उसने फिर बताया कि मौर्य के परिवार वाले भी यादवों जैसा गुंडा राज, आंतक बनाए हुए थे। Keshav prasad maurya sirathu

मतदान के दिन गांव-देहात में घूमते हुए कई मतदान केंद्र बिना भीड़ के थे। वोट डालने का उत्साह नहीं मिला। वोटरो की लाइनें नहीं। अकेला कासिया पश्चिम गांव अपवाद था। भारी हलचल थी। वोट डालने के इंतजार में लंबी कतार थी। लोकल एक्टिविस्ट मनोज सिंह ने भीड़ का मूड बताते हुए कहामैंने पिछले चुनाव में भाजपा के लिए काम किया। इस बार सब नाराज हैं। कुर्मी ने उनको बनाया था अब कुर्मी ही उनको हराएंगे।

साथ खडे संदीप ने कहाहां, कुर्मी वोट पल्लवी को गिरेंगे। गांवों में लोग भाजपा राज से नाराज हैं। एक महिला वोटर उर्मिला ने कहा- महंगाई कितनी हो गई, नौ सौ रुपए में सिलेंडर मिल रहा है। फ्री राशन का क्या करें जब घर के चार बच्चे बेरोजगार हैं। उसने बताया कि उसके घर में दस लोग हैं और आमदनी बहुत कम।

सिराथू में योगी, मोदी, मंदिर, हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि सिर्फ केशव प्रसाद मौर्य के चेहरे और उनके खिलाफ खडी समाजवादी पार्टी की पल्लवी पटेल की सीधी लड़ाई ने गांवों-देहात में सब कुछ लोकल बनाया है। विधायक केशव प्रसाद ने पांच साल क्या किया, लोगों से उनका और उनके परिवार वालों का क्या व्यवहार रहा, या तो यह मुद्दा या फिर जात।

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केशव प्रसाद जीत रहे हैं, उन्हें जिताना है, ऐसा कोई हल्ला, जोश बूथ केंद्रों के बाहर, पार्टी टेंटों के आसपास नहीं झलका। इस रिपोर्ट को लिखते वक्त तक 48.6 प्रतिशत मतदान होने की खबर है। कांटे के मुकाबले के बावजूद मतदान भारी नहीं। इलाहाबाद दक्षिण से सिराथू के गांवों में मुस्लिम वोटरों में जरूर यह शिकायत कई जगह सुनाई दी कि फलां-फलां का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है। सिराथू में शमीम अहमद ने कई नामों के साथ बताया की सूचियों में नाम ही नहीं मिल रहे।   

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सिराथू में मुस्लिम वोट का बड़ा रोल है। बसपा ने नामांकन भरे जाने से ठीक पहले घोषित ब्राह्मण उम्मीदवार को बदल मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा किया। भाजपा की टीम को उम्मीद थी कि इससे समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट कटेंगे। लेकिन मुस्लिम मतदाता भी कुर्मियों की तरह पल्लवी पटेल का ही नाम लेते मिले। उप मुख्यमंत्री की इस सीट पर उनकी जाति के मौर्य मुश्किल से 28 हजार वोट हैं, जबकि कुर्मी-पटेल तीस हजार से ज्यादा और मुस्लिम पचास हजार व यादव 22 हजार। नंबर एक में दलित पासी के साठ हजार वोटों के कारण ही 1993 से 2007 के चुनावों तक यह सीट कांशीराम और कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल (पल्लवी पटेल उनकी बेटी हैं) की गणित की पकी सीट रही। सीट पर फारवर्ड जातियों के वोट बीस प्रतिशत बताए जाते हैं। इसलिए केशव प्रसाद के लिए इन वोटों का संघर्ष बहुत कड़ा हुआ है। मौर्य के साथ भाजपा ने भी सिराथू में बहुत दम लगाया। लोगों में यह हवा बनाने की कोशिश हुई कि मौर्य के उप मुख्यमंत्री होने से इलाके का बहुत विकास हुआ और इसलिए उन्हे वापस जिताना है। सो, मतदान के दिन सिराथू के मूड का लब्बोलुआब- लोकल पत्रकार धनराज सिंह के अनुसार, ‘फाइट है। पल्लवी को कुर्मियों, यादव, दलित, ओबीसी और ब्राह्मणों में बहुत समर्थन है।  

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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