छतीसगढ़ः ग्राउंड रिपोर्ट
मोहला मानपुर।छत्तीसगढ़ में लोगों का चुनावी मूड वैसा नहीं है जैसा राज्य के बाहर और खासकर दिल्ली में बैठे लोग मान कर चल रहे हैं। बाहरी आम धारणा के विपरीत, छतीसगढ में कांग्रेस की राह आसान नहीं है।‘बघेल पर भरोसा’ बोलता हुआ है लेकिन‘मोदी की 2023 में छत्तीसगढ़ के लिए गारंटी’ भारी पड़ रही है। राज्य में कांटे की टक्कर दिख रही है। तीन महिने पहले ऐसा नहीं था और अब है तो वजह कांग्रेस बनाम भाजपा में रेवडियों का कंपीटिशन है। इसमें भी बड़ा मसला किसानों का है। धान खरीदने के सरकारी मूल्य और कर्ज माफी का है।
छतीसगढ़ में चुनाव का फैसला किसानों से होगा। किसी भी जाति का किसान हो वह पहले धान की खरीद के कांग्रेस और भाजपा के रिकार्ड व खरीद के दाम का हिसाब लगा रहा है। किससे पैसा अधिक मिलेगा, इसी पर वोट डाने का फैसला करेगा।
राजनांदगाव (पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की सीट, जहा आज प्रचार के आखिरी दिन उनके साथ आज योगी आदित्यनाथ का रोड शो था) के एक गांव में खेत पर धानकटवाते बीरबल ठाकुर ने साफ़ शब्दों में कहा, “जहां पैसा ज्यादा है वहां ही जाएंगे।” उनके भाई भुवनेश्वर ठाकुर, जो पिछले कई चुनावों से भाजपा को वोट देते रहे हैं, ने बताया कि मोदीजी ने 3100 रू प्रति क्विटंल की गांरदी दी है तो उन्हे ही वोट जाएगा।
लेकिन दो घंटे बाद खुज्जी के आदिवासी इलाके में सोशल मीडिया से यह खबर पहुंची हुई थी कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में 3200 रू प्रति क्विंटल पर धान खरीदने का वादा किया है। मतलब भाजपा की गारंटी से सौ रू ज्यादा। इसलिए धान की राजनीति कांग्रेस और भूपेश बघेल की तुरूप है। ध्यान रहे कांग्रेस ने 2018 मेंधान की खरीदी को 2,500 रू. क्विंटल की दर से करवाने के वायदे पर जीता था।केंद्र सरकार की एमएसपी रेट तब कम थी। सन् 20219 में भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार की 1815 रू की रेट से ज्यादा किसानों को पेमेंट कराना शुरू कर दिया। कहते है तब केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को धमकाया कि ज्यादा दाम दिए तो केंद्र सरकार वह धान नहीं उठाएगी। तब बघेल सरकार खरीदी मूल्य के साथ बोनस में वायदे अनुसार किसानों को पैसा देना शुरू किया। साथ ही किसानों की कर्ज माफी भी की। चुनाव नजदीक आते-आते यह दर 2,800 रू कर दी गई। इसी की लोकप्रियता से प्रदेश में कांग्रेस की हवा बनी रही। भाजपा को यह ग्राउंड रियलिटी बहुत बाद में समझ आई और बहुत देर से, दो दिन पहले ही भाजपा ने अपने संकल्प पत्र, प्रधानमंत्री के भाषण में प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी एक ही किश्त में 3,100 रूष प्रति क्विंटल की दर से करने की गारंटी दी गई। और भाजपा की गारंटियों की सभी और चर्चा।
बदले में पांच तारीख को, पहले राउंड का प्रचार खत्म होने से ठिक पहले दोपहर में कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस ने एक कदम और आगे बढ़कर “भरोसे का घोषणा पत्र 2023-28” में धान का भाव बढ़ाकर 3200 रू प्रति क्विंटल देने का वायदा किया है। इसमें राजीव गांधी न्याय योजना के अंतर्गत दिया जाने वाला लागत अनुदान भी शामिल है। मोहाला मानपुर में इस घोषणा की जानकारी मिलने के बाद माहौल कस्बा कांग्रेस के माकूल हो गया।चाय की दुकान पर बैठे व्यक्ति ने कहा- कांग्रेस की जीत पक्की हो गई है।
दरअसल किसानों का मूड धान के कटोरे छतीसगढ़ में इसलिए निर्णायक है क्योंकिप्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी खेती-बाड़ी से जुड़ी हुई है। राज्य में करीब 3.46 लाख किसान हैं जिनमें से छोटे और सीमांत किसान लगभग 80 प्रतिशत हैं। इनमें से ज्यादातर आदिवासी या अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं।
खुज्जी के आदिवासियों के सबसे पसंदीदा नेता भूपेश बघेल हैं। हालांकि वे बढ़ते हुए बिजली के बिलों से परेशान हैं, लेकिन कांग्रेस ने कर्ज माफी और धान की अधिक दर पर खरीदी का वायदा पहले पूरा किया है और उनका वापिस वादा है तो भाजपा की गारंटियों में निःशुल्क आवास, महिलाओें को 12,000 रू सालाना देने तथा सस्ते गैस सिलिंडर जैसे वादोका ज्यादा असर नहीं है। वे बघेल के प्रति वफादार हैं।
इसलिए बघेल बनाम मोदी के चेहरे को ले कर लोगों की राय का मसला चुनाव में ज्यादा मतलब नहीं रख रहा। इस मसले पर लोग खुलकर अपनी राय जाहिर करते हैं।मोहला मानपुरा के दुकानदार गणेश प्रसाद ने कहा- भूपेश बघेल का चेहरा जीतेगा। वही खुज्जी जिले के मुंजाल कला की ममता साहू ने कहा उनका वोट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे के लिए पड़ेगा। उनके लिए धान के दाम या विवाहित महिलाओं के लिए भाजपा द्वारा 12,000 रू. दिए जाने के वायदे से अधिक अयोध्या का राम मंदिर और हिन्दू होने का गर्व महत्वपूर्ण है। ऐसा ही एमएससी की पढ़ाई कर रही 21 साल की ऋतु के साथ है। उनका वोट बेरोजगारी के मुद्दे और प्रधानमंत्री के जलवे के आधार पर तय होगा। हालांकि भंवर दास साहू का मानना है कि बघेल राज्य के लिए और मोदी दिल्ली के लिए ठीक हैं। गांवों में दुकानों पर परचून के सामान के एक वितरक डोंगर गांव के ऋषि चावला ने इलाके का महौल बताते हुए कहा- गांवों में भूपेश पहली पसंद है लेकिन बहुत से लोग छत्तीसगढ़ में भाजपा की डबल इंजन सरकार चाहते हैं।
जाहिर है ग्राउंड पर लोगों की राय बंटी दिख रही है। मोटे तौर पर छत्तीसगढ़ में चुनावी मूड वैसा नहीं है जैसा राज्य के बाहर माना जा रहा है। सत्ता विरोधी लहर नहीं है और न ही भ्रष्टाचार की ईडी जांचों, कथित आरोपों से भूपेश बघेल की विश्वसनीयता या छवि बिगडी हुई है। भाजपा के आरोपों का लोगो में प्रभाव नहीं पड़ा है। गांवों में इसकी चर्चा नहीं है। लेकिन कांग्रेस क्या दे रही है और भाजपा के वादे क्या है, इसकी हर बात को लोग ऐसे याद रखे हुए है जैसे वोट देने से लोग हिसाब लगाएंगे कि उन्हे किससे क्या मिल रहा है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)