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गबोन में 56 साला बोंगो राज खत्म

एक और अफ़्रीकी देश, एक और प्रजातंत्र की लौ, कल बुझ गई। देश का नाम है गबोन।

अफ्रीका के पश्चिमी तट के गबोन में शनिवार को एक नई चुनाव प्रणाली के अंतर्गत एक ही बैलट के जरिए संसद सदस्यों और राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान हुआ। राष्ट्रपति अली बोंगो, जो सात-सात साल के दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं, तीसरे कार्यकाल के लिए प्रत्याशी थे। इस देश में सन् 1960 में फ्रांस से आजाद होने के बाद से केवल तीन राष्ट्रपति हुए हैं। अली बोंगो के पिता उमर बोंगो अपनी मृत्यु तक 2009 में राष्ट्रपति थे। उन्होंने चालीस साल से अधिक समय तक राज किया। सन 1967 से 2009 तक चला अली बोंगो का राज बहुत सख्त था। 

उनकी मौत के बाद उनके पुत्र, जो उस समय रक्षा मंत्री थे, सत्ता पर काबिज हुए। तब से कल तक उनका राज रहा। इस तरह बोंगो परिवार 56 साल से गबोन पर शासन कर रहा है। चूंकि देश में राष्ट्रपति के कार्यकालो की कोई सीमा नहीं है इसलिए डर यह था कि इस मध्य अफ्रीकी देश में सालों-साल एक ही परिवार का राज चलता रहेगा। 

तभी चुनावी प्रोग्राम की घोषणा होते ही 19 उम्मीदवार राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो गए। किंतु 18 अगस्त को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए छह उम्मीदवारों ने आल्टेरेंस 2023 नाम से गठबंधन बनाकर ओनडो ओसा को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित करके  कहा कि “गबोन, बोंगो परिवार की बपौती नहीं है”। ऐसी खबरें थी कि देश की जनता भी बदलाव चाहती थी और बोंगो परिवार के बाहर का राष्ट्रपति देखना चाहती थी। 

तेल-आधारित इकॉनमी वाले गबोन को आर्थिक विकास की संभावनाओं वाला देश माना जाता रहा है। किंतु वह भयावह भ्रष्टाचार से ग्रस्त रहा है। सन् 2022 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्ट देशो की 180 देशों की लिस्ट में  उसे 124वें स्थान पर रखा। गबोन की 25 लाख की आबादी में से एक-तिहाई मुफलिसी में जीने को मजबूर है और महाद्वीप के सबसे अधिक प्रति व्यक्ति जीडीपी वाले देशों में से एक होने के बावजूद वहां मूलभूत सामाजिक सेवाओं की स्थिति दयनीय है।

जहां तक राष्ट्रपति का प्रश्न है, वे पर्यावरण संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण के लिए नियम बनाने और ओवेंडों व्यावसायिक बंदरगाह के विकास को अपने कार्यकाल की उपलब्धियों के तौर पर गिनाते हैं। लेकिन उनके आलोचकों का दावा है कि उन्होंने इसके अलावा कुछ खास नहीं किया है। साथ ही बोंगो परिवार कई बड़े घोटालों के आरोपों से घिरा रहा है, जिनमें सबसे ताज़ा मामले में जुलाई 2022 में राष्ट्रपति के पांच भाई-बहनों को फ्रांसीसी जांच में सरकारी खजाने में गबन और काले धन को सफेद बनाने का दोषी पाया गया। राष्ट्रपति की सेहत को लेकर भी चिंताएं थी। उनमें देश का नेतृत्व करने के लिए आवश्यक शारीरिक और मानसिक क्षमता है या नहीं, इस पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं।

इस सबके बावजूद अली बोंगो ने तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव में 64.27 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की। यह घोषणा गबोन के इलेक्शन सेंटर ने बुधवार को की। विपक्ष द्वारा चुनाव में घपलों के आरोप लगाए जाने के कारण घोषणा होने में काफी देरी हुई। बोंगो के निकटतम प्रतिद्वंदी ओनडो ओसा, 30.77 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। लेकिन शनिवार को राष्ट्रपति, संसद और प्रांतीय संस्थाओं के लिए हुए मतदान के बाद हिंसा भड़कने के डर के कारण स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी क्योंकि तेल और कोको के मामले में समृद्ध किंतु गरीबी झेल रहे इस देश में विपक्ष बदलाव के लिए प्रयासरत था। अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षकों की गैर-मौजूदगी, कुछ विदेशी मीडिया पर लगाई गई रोक, इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी और मतदान के बाद देश भर में नाईट कर्फ्यू लगाने के बाद चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं। 

लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के कुछ ही समय बाद सेना के अधिकारियों ने गबोन के राष्ट्रीय टेलीविज़न पर घोषणा की कि सेना देश का शासन संभाल रही है और शनिवार को हुए चुनाव के परिणामों को रद्द घोषित कर दिया गया। देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया है।  सभी संस्थाओं को भंग कर दिया गया है और सेना ने कहा है कि “हमने शांति स्थापना की खातिर वर्तमान शासन को समाप्त करने का फैसला किया है”।

इसका अर्थ है बोंगो परिवार के 56 साल के राज का खात्मा। यदि सेना सत्ता पर काबिज हो गई तो यह सन् 2020 के बाद से पश्चिम और मध्य अफ्रीका में आठवां तख्तापलट होगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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