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बाइडेन के लिए बाधा बन रही इजराइल की जंग

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन मध्य-पूर्व में घिर आए संकट के बादलों को जबरदस्त गंभीरता से ले रहे हैं। यहां तक कि वे अपने देश की समस्याओं को परे खिसकाकर इजराइल पहुंच गए हैं और फिलहाल शायद यूक्रेन-रूस युद्ध के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं।

लेकिन जिस समय वे टकराव कम करने के अपने मिशन को हासिल करने के लिए हवाई जहाज पर सवार हो रहे थे उसी समय गाजा के एक अस्पताल में हुए विस्फोट में सैकड़ों फिलस्तीनी नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हमास ने इसे इजराइल के हवाई हमले का नतीजा बताया, जबकि इजरायली सेना का दावा है कि यह फिलस्तीनी इस्लामिक जेहाद नामक उग्रवादी संगठन द्वारा छोड़े गए राकेटों की वजह से हुआ। लेकिन इस्लामिक जेहाद ने भी इससे इनकार किया है। घटना के लिए कौन जिम्मेदार है इस पर आरोपों-प्रत्यारोपों के दौर के बीच जॉर्डन ने इस ‘जघन्य युद्ध अपराध’ की निंदा करते हुए उसकी मेजबानी में अम्मान में होने वाली बाइडेन और फिलस्तीन व मिस्र के नेताओं की वार्ता रद्द करने की घोषणा की है। इससे राष्ट्रपति बाइडेन का यात्रा कार्यक्रम फिलहाल सिर्फ इजराइल तक सीमित रह गया है, जिसकी प्रशंसा कम हो रही है और उसे लेकर नाक-भौं ज्यादा सिकोड़ी जा रही है।

सत्रह अक्टूबर को गाजा के अल अहली अरब अस्पताल में हुआ विस्फोट खौफनाक तो था, परंतु आश्चर्यजनक नहीं। इस अस्पताल में बीमार तो थे ही उसके प्रांगण में हजारों स्वस्थ नागरिक भी इस उम्मीद में शरण लिए हुए थे कि अस्पताल पर हमला नहीं होगा। सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के नृशंस आक्रमण, जिसमें करीब 14 सौ लोग मारे गए और दो सौ से अधिक बंधक बना लिए गए, के बाद से ही इजराइल गाजा पर लगातार जबरदस्त बमबारी कर रहा है। इस अभूतपूर्व हमले में अब तक तीन हजार फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं और करीब छह लाख अपने घर छोड़ कर चले गए हैं। उनमें से कुछ ने इजराइल के इस आह्वान के बाद अपने घर-बार छोड़े हैं कि फिलस्तीनी गाजा के उत्तरी इलाके, जिसमें वहां का सबसे बड़ा शहर गाजा सिटी भी है, को छोड़ दें। इजराइल ने गाजा पट्टी में भोजन सामग्री, पानी, बिजली और ईंधन की सप्लाई रोक दी है।

इजराइल के सुरक्षा बलों ने अस्पताल पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि फिलस्तीनी इस्लामिक जिहाद नामक एक कट्टरपंथी गुट द्वारा छोड़ा गया रॉकेट किसी खराबी के चलते अस्पताल में गिर गया। परंतु अधिकांश अरब देशों और दुनिया भर के मुसलमानों का मानना है कि यह हमला इजराइल ने ही किया है। ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बिना किसी लागलपेट के कहा कि ‘हालिया अपराधों के लिए अमेरिका जिम्मेदार है’। लेबनान स्थित अमेरिकी दूतावास के सामने जबरदस्त प्रदर्शन हुए और मिस्र और जॉर्डन, जिन्होंने कई दशक पहले इजराइल से संबंध स्थापित कर लिए थे, ने भी इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। सऊदी अरब जैसे देश, जिनके साथ इजराइल के संबंध सुधरने शुरू ही हुए थे, भी इस घटना से बहुत नाराज हैं। वेस्ट बैंक के शहरों में अफरा-तफरी और अव्यवस्था का माहौल है क्योंकि बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। इससे जो हमास के राष्ट्रवादी संस्करण फिलस्तीनी ऑथोरिटी और उसके नेता महमूद अब्बास की वेस्ट बैंक में पहले से ही कमजोर सरकार की स्थिरता खतरे में पड़ गई है। महमूद अब्बास ने अम्मान में बाइडेन के साथ अपनी प्रस्तावित मुलाकात रद्द कर दी है। वे रमल्ला लौट गएए हैं और उन्होंने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।

अमेरिका भले ही मध्य-पूर्व को बहुत महत्व दे रहा हो परंतु इसमें कोई संदेह नहीं कि इस इलाके में बाइडेन ओैर अमेरिका दोनो की छवि तार-तार हो चुकी है। अमेरिका अपने जंगी जहाज इजराइल की ओर रवाना कर चुका है और बाइडेन स्वयं भी इजराइल पहुंचे हैं। इन दोनों कदमों का उद्देश्य ईरान और उसके साथियों को यह संदेश देना है कि वे किसी प्रकार की सैन्य कार्यवाही करने का ख्याल छोड़ दें। इससे अरब देशों को यह संदेश जा रहा है कि अमेरिकी सरकार न केवल फिलस्तीनियों की बदहाली को नजरअंदाज कर रही है वरन् इस बदहाली की जड़- इजराइल के कब्जे- को बनाए रखने रखने में भी मददगार है। पूरे अरब प्रायद्वीप में ‘डेथ टू अमेरिका’ का नारा गूंज रहा है। शुक्रवार को अमेरिका के मित्र देश बहरीन में एक विरोध प्रदर्शन में भी यह नारा लगाया गया। जॉर्डन ने वार्ताएं स्थगित करते हुए कहा कि अब बातचीत का कोई अर्थ नहीं है और सबसे पहले युद्ध बंद किया जाना चाहिए।

अमेरिका की छवि को जो नुकसान पहुंचा है उसके चलते बाइडेन के लिए युद्ध रूकवाना और अमन की बहाली करवाना एक कठिन चुनौती होगी। यह इसलिए भी क्योंकि हाल के कुछ सालों में रूस और चीन कुछ अरब देशों के नजदीक आ गए हैं और वे निश्चित तौर पर इस क्षेत्र में अमेरिका और इजराइल के खिलाफ व्याप्त गुस्से का लाभ उठाना चाहेंगे। इस परिस्थिति में बाइडेन की यात्रा का कोई विशेष मतलब नहीं रह गया है। एक इंटरव्यू में बाइडेन ने इस क्षेत्र के भविष्य के बारे में अपनी सोच का तो खुलासा नहीं किया परंतु कुछ टिप्पणियां अवश्य कीं। उन्होंने कहा कि अगर लड़ाई खत्म होने के बाद भी इजराइल गाजा पर कब्जा बनाए रखता है तो यह बहुत बड़ी भूल होगी। उन्होंने यह भी कहा कि एक अलग फिलस्तीनी देश के निर्माण की राह प्रशस्त की जानी होगी भले ही वह देश अभी तुरंत अस्तित्व में न आए।

जाहिर है कि बाइडेन जोखिम भरे रास्ते पर चल रहे हैं। मुझे लगता है कि वे सफलता पाने के लिए बहुत आतुर हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध के मामले में वे कुछ विशेष नहीं कर पाए। अब वे चाहते हैं कि चुनाव में उतरने से पहले कम से कम एक सफलता उनके हाथ लग जाए।

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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