जो बाइडन ने साफ़ कर दिया है कि अमेरिका एक विश्व शक्ति है और रहेगा। और व्यवहार भी एक विश्व शक्ति जैसे करेगा। उन्होंने 28 जुलाई को घोषणा की कि जिस तरह अमेरिका अपने जखीरे से यूक्रेन को हथियार दे रहा है, उसी तरह ताईवान को भी देगा।चीन को यह भारी झटका है। स्वभाविक जो दुनिया में सनसनी है और चीन अपना आपा खो बैठा है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ताईवान को हथियार दिए जाने की घोषणा की आलोचना करते हुए उसे ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया। कहा कि इससे ताईवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हो गया है। चीन ने चेताया कि इससे चीन और अमरीका के सैन्य संबंध में जोखिम और बढ़ जायेगा।
इसके उलट, अमेरिका का कहना है कि इससे ताईवान स्ट्रेट में शांति बनी रहेगी। ताइवान को हथियार देने से ताईवान स्ट्रेट में लड़ाई छिड़ने की सम्भावना कम हो जाएगी। अमेरिकी खुफिया सूत्रों को मिली जानकारी के मुताबिक शी जिनपिंग ने देश की सेना को सन् 2027 तक ताईवान पर कब्जा करने के लिए तैयार रहने का हुक्म दिया है।
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ताईवान भी अमेरिका के लिए चिंता का सबब बन गया है। चीन ताईवान को अपना हिस्सा मानता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ़ कर दिया है कि चीन ताईवान पर कब्जा कर के रहेगा और इसके लिए यदि ताकत का इस्तेमाल करना पड़ा तो वह भी करेगा। शी ने जोर देकर कहा कि ताईवान के अनसुलझे मसले को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रान्सफर करने का सिलसिला ख़त्म होना चाहिए। ताईवान, जो सन् 1949 में गृहयुद्ध के दौरान चीन से अलग हुआ था, स्वयं को लोकतांत्रिक स्व-शासित राष्ट्र कहता है। लेकिन चीन का नजरिया अलग है। चीन के पूर्व विदेशमंत्री क्विन गैंग, जो अब लापता हैं, ने इस साल के शुरू में कहा था कि ताईवान स्ट्रेट के दोनों ओर की ज़मीन चीन की है और जो “ताईवान की आग से खेल रहे हैं वे उसमें अपनी अंगुलियां जलाएंगे”।चीन अपना दबदबा बनाए रखने के लिए ताईवान स्ट्रेट में और ताईवान के आकाश में लगातार और बार-बार सैनिक अभ्यास करता रहता है। पिछले साल अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स की तत्कालीन स्पीकर नैन्सी पैलोसी की बहुचर्चित ताईवान यात्रा के बाद चीन ने ताईवान के आसपास के इलाके की ओर कई मिसाईलें छोड़ीं थीं। अमेरिका चीन पर कई बार यह आरोप लगा चुका है कि चीन उसके हवाईजहाजों और पानी के जहाजों के आसपास खतरनाक युद्धाभ्यास करता रहता है जिससे जहाजों उया हवाईजहाजों में आपस में टक्कर होने और नतीजे में दोनों महाशक्तियों की भिड़ंत का खतरा बढ़ता है। चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने ताईवान को अरबों डालर के हथियार बेचने का वायदा कर उसे बारूद के ढेर पर बिठा दिया है।
अमेरिका ने जिस पैकेज की घोषणा की है उसमें 34.50 करोड़ डालर के हथियार और गोला बारूद के साथ ही सैन्य शिक्षण और ट्रेनिंग भी शामिल हैं। सैन्य सहायता की राशि और बढ़ सकती है क्योंकि अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन ने कहा है कि उनका इरादा कांग्रेस द्वारा मंज़ूर की गयी एक अरब डालर की पूरी राशि का उपयोग 30 सितंबर को वित्त वर्ष समाप्त होने के पहले करने का है।
इस नए घटनाक्रम ने पहले से किए जा रही कोशिशों पर पानी फेर दिया है। एक ओर बाइडन प्रशासन अपने वरिष्ठ आधिकारिक और गैर-आधिकारिक प्रतिनिधियों को चीन भेजकर दोनों देशों के बीच का तनाव कम करने का प्रयास कर रहा है वहीं दूसरी ओर ड्रेगन को उसी के पिछवाड़े में चुनौती देकर भड़का रहा है।
यूक्रेन को भी लगातार सैन्य सहायता की जरूरत है। हाल के दिनों में रूस यूक्रेन पर जम कर बमबारी कर रहा है। ओडेसा पर हमलों की लहर के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दुनिया के देशों से अनुरोध किया है कि यूक्रेन के लिए “आकाश में सुरक्षा छतरी” की व्यवस्था की जाए।“हमें अपने पूरे देश, सभी शहरों और सभी लोगों के लिए और अधिक एयर डिफेन्स सिस्टम्स की ज़रुरत है। दुनिया को रूसी आतंक का अभ्यस्त नहीं हो जाना चाहिए”, उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा।
राष्ट्रपति बाइडन एक साथ हंसने और गाल फुलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता देकर और रूस को पीछे हटने को मजबूर कर वे न केवल यूक्रेन की मदद कर रहे हैं वरन् इससे चीन भी ताइवान पर हमलावर होने से पहले दस बार सोचने पर मजबूर हो जायेगा।
यूक्रेन और ताईवान को दी जा रही इस सहायता से अमरीका के खजाने पर बहुत बोझ पड़ रहा है। पेंटागन का कहना है कि ताईवान पैकेज से यूक्रेन को दी जा रही मदद पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह जारी रहेगी। पहले ही ताईवान द्वारा आर्डर किये गए 14 अरब डालर के हथियार, जिनमें टैंकरोधी जेवलिन मिसाइल और विमानरोधी स्टिंगर मिसाइल शामिल हैं, की सप्लाई अभी बाकी है। इन दोनों की बड़ी मात्रा यूक्रेन को दी जानी है।
बाइडन की यह नीति कुछ समय के लिए कारगर हो भी सकती है। अमरीका की आंतरिक राजनीति के चलते बाइडन अभी तो एक साथ हँसना और गाल फुलाना जारी रख सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे अमरीका में चुनाव की गहमा-गहमी बढेगी, अनिश्चितता भी बढती जाएगी। बाइडन के बारे में यह माना जाता है कि वे चीन के प्रति कम सख्त हैं और रिपब्लिकन इसके लिए उनकी आलोचना करते हैं। हो सकता है कि ताईवान को यह नया पैकेज देने की घोषणा से बाईडन का समर्थन कुछ बढे। लेकिन एक बात पक्की होती जा रही है – और वह यह कि चीन और अमरीका का टकराव आने वाले दिनों में बढेगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)