भीलवाड़ा।बाईस तारीख की रात भीलवाड़ा का माहौल अचानक अफवाहभरा हुआ। चुनाव प्रचार समाप्त होने के एक दिन पहले शहर में जो घटा, वह कतई शुभ नहीं था। कुछ लडकों में हाथापाई हुई। बात बिगड़ी और 16 साल के एक लड़के की मौत हुई और उसके पिता को गंभीर चोटें आईं। पूरे शहर में घटना के पीछे भाजपा उम्मीदवार विट्ठलशंकर अवस्थी बनाम बागी उम्मीदवार अशोक कोठारी के राजनैतिक झगड़े की अफवाह फैली। कुछ लोगों ने इसे एक बड़ी पार्टी के लोगों द्वारा कोठारी समर्थक की हत्या बताया, कुछ के अनुसार यह शहर की शांति भंग करने के लिए किया गया और कुछ अन्य का दावा था कि यह व्यक्तिगत झगड़े को राजनैतिक स्वरूप दिए जाने का नतीजा था। अंत में सच्चाई व्यक्तिगत झगड़े की जाहिर हुई। परन्तु तब तक जुबानें तो कैंची की तरह चल चुकी थी।
भाजपा के अवस्थी तीन बार से विधायक है। आरएसएस के पुराने स्वंयसेवक तथा रिकार्ड मतों से बार-बार जीतने वाले सांसद सुभाष बेहरिया की पैरवी व हाईकमान की पसंदगी में अवस्थी का टिकट इस बार भी हुआ। अवस्थी ने पिछले और इस चुनाव में लोगों में यह मैसेज बनाया हुआ है कि मैं नहीं मोदीजी जीतते है। दरअसल भीलवाड़ा सन् 1998 से भाजपा का गढ़ रहा है। इस हद तक कि कहा जाता है कि भाजपा राजस्थान में केवल 199 सीटों पर चुनाव लड़ती है। क्योंकि भीलवाड़ा तो उसकी जेब में पक्का रहता ही है।
यह भी पढ़ें: मेवाड़ से होगी उलटफेर?
यही वजह है कि मैंने कभी भीलवाड़ा जा कर चुनाव कवर नहीं किया। यहां ब्राम्हणों और माहेश्वरी-बनियों का बोलबाला है। इसलिए यहां हमेशा विट्ठलशंकर अवस्थी जैसे भाजपा उम्मीदवार की जीत पक्की मानी जाती है। अवस्थी चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं। विकास के मुद्दे पर भीलवाड़ा में कभी मतदान नहीं होता। कांग्रेस के सीपी जोशी ने प्यासे शहर को चंबल का पानी दिलाया, सड़कों का जाल बिछाया बावजूद इसके मोदी की भक्ति में बनियों-ब्राम्हणों ने उन्हे हराया। यह मेरा गृहनगर है और इसलिए मैं जानती हूं कि शहर में भाजपा प्रतिनिधियों से न के बराबर विकास हुआ है।
लेकिन इस चुनाव में भाजपा की गणित और कैमेस्ट्री दोनों बिगडी है – इस हद तक कि कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार भी 199 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, वह इसलिए क्योंकि वह जानती है कि भीलवाड़ा सीट में उसकी जीत बहुत मुश्किल है! आरएसएस की और से खडे निर्दलीय अशोक कोठारी एक मजबूत उम्मीदवार हैं। और मेरे कई नजदीकी लोग भी परस्पर विरोधी बातें कर रहे हैं या कन्फ्यूज्ड हैं। कोठारी, जो जैन है, पर भीलवाड़ा निवासी उन पर लगभग फ़िदा हैं। शहर के अधबीच जूस सेंटर चलाने वाले राधेश्याम कहते हैं, “कोठारी जी का माहौल है यहां”। एक फल विक्रेता बताता है, “बहुत बड़े गौरक्षक हैं, कोठारी जी। वो जीतेंगे”। कोठारी आरएसएस से संबद्ध हैं और उन्हें आरएसएस का समर्थन और सहयोग भी हासिल है। तभी बड़ा सवाल है कि भीलवाडा में इस बार मोदी का करिश्मा क्या फेल होगा और गौभक्त जीतेगा ?मुझे लगता है कि भाजपा ने भीलवाड़ा में हार मान ली है। हालांकि भाजपा के परंपरागत पक्के समर्थक अभी भी अवस्थी के साथ हैं। और उन्हे उम्मीद है कि कोठारी और कांग्रेस के ओम नाराणीवाल दोनों से माहेश्वरी-बनियों के वोट बटेंगे तो ब्राह्यण बहुल क्षेत्र में अवस्थी मजे से जीतेंगे।
कोठारी एक कट्टर दक्षिणपंथी गौभक्त हैं और भाजपा तथा आरएसएस के स्थानीय नेतृत्व के पसंदीदा हैं। वे चाहते थे कि भाजपा के टिकट पर अवस्थी के बजाए कोठारी चुनाव लड़ें। लेकिन भाजपा हाईकमान ने अवस्थी को लड़ाना बेहतर समझा। कोठारी को संतों, हिंदू संगठनों और सामान्य लोगों का समर्थन हासिल है। कोठारी की केमिस्ट्री से भाजपा का गणित गड़बड़ा गया है। भीलवाड़ा के कुछ लोगों का मानना है कि इन दोनों की खींचतान में कहीं कांग्रेस के ओम नाराणीवाल बाज़ी न मार ले जाए। भाजपा के एक परंपरागत मतदाता, जिनकी कई पीढ़ियां भाजपा समर्थक रही हैं, कहते हैं, “इस बार भाजपा कहीं थर्ड न हो जाए”। शायद यही कारण है कि मोदी और शाह ने इस क्षेत्र और उसके आसपास चुनाव प्रचार नहीं किया। मुझे माहौल साफ नजर आया लेकिन चुनावी मूड अंतिम क्षण तक बदलता रहता है। यह नई तरह की राजनीति का दौर है। पोलिटिकल मैनेजमेंट के कारण अंतिम समय में नतीजा बदला करता है।