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यूक्रेन युद्ध हांफने लगा!

पिछले साल की सर्दियों में रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा था। इस साल की सर्दियों में भी चलेगा। किसी को नहीं मालूम कि यह कब तक ख़त्म होगा। पिछले हफ्ते कुछ चौंकाने वाली खबरें मिली। इनके सही होने ही पूरी सम्भावना है। ऐसा लगता है कि युद्ध लड़ने, यूक्रेन का साथ देने और पुतिन को हराने का जोश अब उतार पर है। सभी हारे-थके और हैरान-परेशान नजर आ रहे हैं। सभी चाहते हैं कि लड़ाई जल्द से जल्द ख़त्म हो। इनमें पश्चिमी व अन्य देश तो शामिल हैं ही, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की भी शामिल हैं। रूस पर यह सोच सन् 2024 के बाद ही हावी होगी।

पिछले सप्ताह यूक्रेन के राष्ट्रपति, संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा को संबोधित करने के लिए न्यूयार्क पहुंचे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधारों की जरूरत है। उनका तर्क था कि युद्ध ने यह दिखा दिया है कि वीटो की ताकत को कम करना ज़रूरी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा को वीटो को ओवरराइड करने का अधिकार मिलना चाहिए और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनी मजबूत स्थिति के चलते जिन पांच देशों को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हासिल हुई थी, उनके अलावा नए देशों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। वे सही कह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बूढे और थके हुए देश हैं और बदलते दौर में ताज़ा हवा के झोंके और नएपन की आवश्यकता है। आखिर कब तक ये पांच देश बाकी 195 देशों का भविष्य तय करते रहेंगे? कब तक उन्हें किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार रहेगा?

इस संबोधन के बाद जेंलेस्की वाशिंगटन पहुंचे लेकिन वहां उन्हें वह गर्मजोशी और हीरो जैसा स्वागत नसीब नहीं हुआ जैसा नौ माह पहले हुआ था। दिसंबर में अमरीकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में दिए गए भाषण के बाद सदस्यों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनका उत्साहवर्धन किया था। इस बार उन्होंने सीनेट के जिस सत्र को संबोधित किया, उसमें प्रेस और जनता को प्रवेश नहीं दिया गया। रिपब्लिकनों ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया। यह खबर भी है कि रिपब्लिकनों ने यूक्रेन पर ब्रीफिंग की सरकार की पेशकश भी नामंजूर की। जेलेंस्की ऐसे समय अमरीका पहुंचे जब रिपब्लिकन यूक्रेन युद्ध पर और अधिक खर्च करने के खिलाफ हो चुके हैं। उन्होंने एक अंतरिम विधेयक पेश किया है जिसमें यूक्रेन के लिए बजट का प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति बाइडन ने यूक्रेन के लिए अतिरिक्त 24 अरब डालर मांगे है जिसके नतीजे में सरकारी कामकाज ठप्प भी हो सकता है। हालांकि जो बाइडन से मुलाकात के दौरान जेलेंस्की लंबी दूरी की टैक्टिकल मिसाइल प्रणालियां (एटीएसीएमएस) हासिल करने में सफल रहे, जिनसे दूरस्थ रूसी सैन्य अड्डों एवं हथियार भंडारों को निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसी कितनी मिसाईलें दी जाएंगी, यह नहीं बताया गया। अमेरिकी अधिकारी इस बारे में विशेष उत्साहित नहीं हैं क्योंकि देश का लम्बी दूरी तक मार करने वाली टैक्टिकल मिसाईलों का अपना स्टाक बहुत सीमित है। इसके अलावा उन्हें यह डर भी है कि रूस यह आरोप लगा सकता है कि अमरीका युद्ध को और भड़का रहा है।

जब अमरीका में यह घट रहा था तब पौलेंड के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उनका देश यूक्रेन को भविष्य में और हथियार नहीं देगा क्योंकि वह अपने सुरक्षा प्रबंधों पर फोकस करना चाहता है। यह घोषणा यूक्रेन के लिए एक बड़ा धक्का तो था ही, पूरे विश्व समुदाय के लिए अप्रत्याशित निर्णय था। पौलेंड अब तक यूक्रेन के सबसे मजबूत समर्थकां में से एक रहा है और कीव को सबसे ज्यादा हथियार वहीं से मिलते रहे हैं। पौलेंड ने दस लाख से ज्यादा यूक्रेनियाई शरणार्थियों को अपने देश में जगह दे रखी है और सरकार उनकी हर तरह से मदद कर रही है। वॉरसॉ और कीव के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब पौलेंड ने अपने किसानों की खातिर यूक्रेन से खाद्यान्नों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की ने वॉरसॉ पर रूस की मदद करने का आरोप लगाया। पौलेंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डुडा ने यूक्रेन को एक ऐसे डूबते हुए आदमी की संज्ञा दी जो अपने बचाने वाले को भी ले डूबता है।

सो पड़ोसी पोलैंड के साथ वाकयुद्ध और अमरीका में कूटनीतिक बैठकों में बुरी खबर का सीधा मतलब जेलेंस्की का समय ठीक नहीं चल रहा है। हाल में ‘न्यूयार्क टाईम्स’ ने एक खबर छापी है जिसके मुताबिक यूक्रेन के कोंस्टाइनएंटीनिवका शहर में इस महीने की शुरूआत में एक भीड़भाड़ वाली सड़क पर जिस मिसाईल के हमले में 17 नागरिक मारे गए थे, वह मिसाईल यूक्रेन ने ही गलती से दागी थी।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समस्याएं हैं हीं उनके देश के भीतर भी जेलेंस्की को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन इस समय भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध के अधबीच में है। जेलेंस्की ने हाल में रक्षा मंत्री एलेक्सेआई रेजनीकोव को बर्खास्त किया है। रक्षा मंत्रालय के कई अधिकारियों पर भ्रष्टचार के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं। इसके अलावा यूक्रेन के एक कुख्यात कुलीन आईहोर कोलोमोयस्की को धोखाधड़ी और मनी लांडरिंग के संदेह में गिरफ्तार किया गया है और वह जेल में है।

जेलेंस्की की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। यूक्रेन का जवाबी हमला अब भी कमजोर और धीमा है और उसके साथी देशों पौलेंड, स्लोवाकिया और अमरीका में चुनाव होने जा रहे हैं और तीनों ही देशों में प्रमुख उम्मीदवार यह कह रहे हैं कि सत्ता में आने पर वे यूक्रेन को सैन्य सहायता देने पर धन खर्च करने की बजाए अपने देश के लोगों की मदद करना चाहेंगे।

युद्ध शुरू हुए 600 दिन गुजर चुके हैं और पिछले हफ्ते के घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि जो देश शुरूआत में यूक्रेन का समर्थन और उसकी मदद करने के लिए बहुत उत्साहित थे धीरे-धीरे हांफने लगे हैं। लंबी खिंचती इस लड़ाई ने उन्हें थका दिया है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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