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पुतिन के नए यार

जहां पश्चिमी देश व्लादिमीर पुतिन से दूरी बना रहे हैं, वहीं पुतिन कई नए यार बना रहे हैं। उनके ये नए यार उनके जैसे ही हैं – सत्ता के भूखे और पश्चिमी देशों को नीची निगाहों से देखने वाले। इन नए यारों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं किम जोंग-उन। अपने देश से बहुत कम बाहर निकलने वाले किम जोंग इसी महीने एक बख्तरबंद रेलगाड़ी से प्योंगयांग से रूस के प्रशांत सागर तट पर स्थित व्लादिवोस्तोक शहर पहुंचेंगे, जहां वे पुतिन से साथ काम की बातें करेंगे। पुतिन चाहते हैं कि किम जोंग रूस को गोला-बारूद और टैंक-रोधी मिसाइलें दें और किम चाहेंगे कि रूस उनके देश को उपग्रह और परमाणु-शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों की उन्नत टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराए। साथ ही उनके दरिद्र देश को खाद्यान्न भी दे।

इस बीच सोमवार को पुतिन ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से मुलाकात की। दोनों देशों की पार्टनरशिप को विस्तार देने पर बातचीत की। कुछ महीने पहले तक पश्चिम में अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि अर्दोआन और पुतिन के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। लेकिन इस मुलाकात से पश्चिम में दुबारा चिंता बनी है। इन दोनों नेताओं के एकसाथ नजर आने से साफ हुआ है कि उनके रिश्ते कायम हैं और संभवतः और मज़बूत होंगे क्योंकि साझेदारी से दोनों को फायदा ज्यादा है और नुकसान कम।

तुर्की ने पश्चिमी प्रतिबंधों को लागू नहीं किया है और वह रूस को जरूरी चीजों की सप्लाई का महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है। दूसरी तरफ आर्थिक संकटों से जूझ रहे तुर्की के लिए रूस एक बड़ा बाजार है। तेल का भुगतान देरी से करने की सुविधा व तुर्की को केन्द्रीय बैंक में धन जमा कर रूस, तुर्की की अर्थव्यवस्था को भी सहारा दे रहा है। और किम जोंग-उन के विपरीत, जो पुतिन की तरह पश्चिम के बहिष्कारों का सामना कर रहे हैं, अर्दोआन के दोनों हाथों में लड्डू हैं।

अर्दोआननाटो में स्वीडन की एंट्री के लिए राजी हुए। उन्होंने अमेरिका में जो बाइडन से मुलाकात भी की। सोमवार को यह और साफ हो गया कि तुर्की और रूस के संबंध कितने गहरे होते जा रहे हैं। दोनों के बीच व्यापार से तुर्की को फायदा हुआ है, रूसी पर्यटक ज्यादा संख्या में तुर्की जा रहे हैं, एनर्जी से जुड़े मसलों पर दोनों देशों का आपसी सहयोग बढ़ा है और उनकी योजना भविष्य में इसे और आगे बढ़ाने की है। अर्दोआन बहुत खुश हैं कि रूस तुर्की के भूमध्यसागर तट के पास एक न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बना रहा है और उसने दूसरा प्लांट बनाने की पेशकश की है।

दूसरी ओर उत्तर कोरिया के मामले में रूस-उत्तर कोरिया संबंधों का मजबूत होना दोनों देशों के लिए फायदेमंद है क्योंकि दोनों के ही बहुत कम मित्र हैं। और अमेरिका दोनों का साझा शत्रु है। व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि पुतिन और किम के बीच पत्रों के जरिए हथियारों के सौदे को लेकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ है। बताया जाता है कि किम अक्सर उन विदेशी नेताओं को स्नेहपूर्ण और कई बार भावुक पत्र लिखते हैं जिन्हें वे अपना मित्र या संभावित मित्र मानते हैं। उनके व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आमने-सामने की ऐतिहासिक मुलाकात के पहले कई पत्रों का आदान-प्रदान हुआ था।

अमेरिका ने उत्तर कोरिया और रूस के आपसी सहयोग के बारे में सबसे पहले करीब एक साल पहले चेताया था। अधिकारियों ने सार्वजनिक किए गए अमरीकी जासूसी संस्थाओें के दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा था कि रूस, यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए तोप के गोले खरीदने की योजना बना रहा है। तुर्की और उत्तर कोरिया के अलावा, पुतिन को ईरान और चीन के रूप में मददगार दोस्त मिलते प्रतीत हो रहे हैं। ईरान ने रूस को ड्रोन दिए हैं और वह एक ड्रोन निर्माण इकाई बनाने में भी रूस की सहायता कर  रहा है। चीन भी रूस की सेना के लिए उपयोगी तकनीकी दे रहा है।

व्लादिमीर पुतिन अकेले नहीं हैं। उन्हें यार मिल गए हैं जो उन्हें यूक्रेन की लड़ाई तेज करने में मदद कर रहे हैं। पुतिन इस स्थिति को तब तक बनाए रखना चाहते हैं जब उनके सबसे अच्छे मित्र डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव जीत नहीं जाते। आततायी कभी अकेले नहीं पड़ते, क्योंकि दुनिया में नायक कम हैं खलनायक ज्यादा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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