donald trump: कल सुबह (21 जनवरी) दुनिया ट्रंपकाल में प्रवेश करेगी। और ‘ट्रम्पवाद’ आने वाले समय का प्रतीक चिन्ह होगा। मगर यह कोई चमकदार या सुखद काल नहीं होगा, बल्कि आशंका, भय और निराशा का दौर होगा।
हालाँकि, बहुत से लोग उनके दुबारा राष्ट्रपति बनने से उत्साहित हैं। यूरोपियन काउंसिल ऑॅफ फारेन रिलेशन्स (ईसीएफआर) द्वारा करवाए गए एक सर्वे के अनुसार चीन, रूस, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में ट्रंप की निंदा की बजाए उनका स्वागत हो रहा है।
इन देशों के जितने लोगों का मानना है कि ट्रंप अमेरिका के लिए, उनके देश के लिए, और विश्व शांति के लिए बेहतर साबित होंगे, उनकी संख्या, ट्रंप के दुबारा पद पर बैठने को अपशकुन मानने वालों की संख्या से कहीं अधिक है।
आप शायद सोच रहे होंगे कि आपके घर के नज़दीक सब्जी बेचने वाला नहीं जानता होगा कि अमरीका का राष्ट्रपति कौन है। हकीकत यह नहीं है।(donald trump)
मोदी की तरह ट्रंप को याद रखना बहुत आसान है। उनकी याद आपके दिमाग में बनी रहती है। उनका नाम आपकी जुबान पर बार-बार आता रहता है।
ईसीएफआर के मुताबिक गैर-पश्चिमी देशों में ट्रंप का स्वागत इसलिए हो रहा है क्योंकि लोगों में जीतने वाले के प्रति उमंग और जोश होता है।
यह बात भारत के बारे में भी सही है। यहां भी जीतने वाले का ही साथ दिया जाता है – “वोट क्यों वेस्ट करें, मोदी को दें”।(donald trump)
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ट्रंप की टीम ने हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण में आमंत्रित नहीं किया। हो सकता है कि इससे भक्तों में कुछ निराशा व्याप्त हो।(donald trump)
लेकिन जो खबरें मिल रही हैं, उनके मुताबिक मुकेश और नीता अंबानी अन्य टेक अरबपतियों, कारपोरेट दुनिया के शीर्षस्थ पदों पर बैठे लोगों, इटली की प्रधानमंत्री जोर्जा मेलोनी और कभी फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहे एरिक जेमुअर कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।
हालांकि मिशेल ओबामा ने न आने का फैसला किया है, जैसे उन्होंने जिमी कार्टर की अंत्येष्टि के समय किया था।(donald trump)
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि मिशेल ओबामा ने खुलेआम ट्रंप के प्रति अपनी नाराज़गी जाहिर की थी। और इसी वजह से 2017 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के कुछ ही समय बाद उन्होंने वाशिंगटन डीसी छोड़ दिया था।
ट्रंप का पहला कार्यकाल यादगार
आपको राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का पहला कार्यकाल याद होगा। 45वें राष्ट्रपति के रूप में खींची गई उनकी आधिकारिक तस्वीर में उनका प्रसन्न और शांत मुद्रा में दमकता हुआ चेहरा दिखाया गया था।(donald trump)
वे एक आकर्षक बुजुर्ग की तरह नजर आ रहे थे। हालांकि उन्होंने जाते-जाते तक दुनिया उथल-पुथल फैलाने का काम जारी रखा। वे हमें हर दिन क्रोध भरी हंसी हंसने और घबराहट भरी सांसें लेने के लिए मजबूर करते रहे।
इस बार 47वें राष्ट्रपति के रूप में उनकी जो आधिकारिक तस्वीर जारी की गई है, वह फुल्टोन काउंटी, जार्जिया के शेरिफ के कार्यालय द्वारा राज्य के चुनावों में गैरकानूनी हस्तक्षेप के प्रकरण के सिलसिले में खींची गई तस्वीर की याद दिलाती है।
इस तस्वीर में वे एक अजीब तरह से सबको घूरते नज़र आ रहे हैं। आधिकारिक तस्वीरें प्रायः राष्ट्रपति के व्यक्तित्व और देश के माहौल की एक झलक पेश करती हैं।
तस्वीर में उनकी त्योरियां चढ़ी हुई हैं और हकीकत में हम सबकी भी। जब ट्रंप 20 जनवरी को सत्ता संभालेंगे तब उनके आसपास सलाहकार, उच्च सैन्य अधिकारी और उनके कोप को कम करने का असफल प्रयास करती उनकी बेटी नहीं होगी।
बल्कि वे अपने जोशीले समर्थकों से घिरे होंगे जो नए आदेशों को जारी करने में उनकी मदद करेंगे, बिना इस बात की चिंता किए कि इसका नुकसान किसे भुगतना होगा।(donald trump)
‘ट्रम्पवाद’ आने वाले काल का मोटिफ
‘ट्रम्पवाद’ आने वाले काल का मोटिफ होगा। यह लोकलुभावन राजनीति का बाईप्रोडक्ट है। लोकलुभावन राजनीति के दौर में लोकतांत्रिक प्रणाली में सत्ता ऐसे नेता के हाथ में होती है जो सृजन से अधिक विनाश करता है।
कुछ नया बनाने की बजे, पुराने को नष्ट करता है। जो संविधान का इस्तेमाल संविधान को बदलने के लिए करता है। अमरीका में परिवर्तन होगा और सारी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बदलाव होगा।(donald trump)
20 तारीख से शुरू होने वाले दौर में, वह सर्द हवा जिसने वाशिंगटन डीसी को जकड़ रखा है, दूर-दूर तक फैल जाएगी। आने वाला समय रोमांचक होगा। यह चमकीला, उमंग भरा रोमांच नहीं होगा बल्कि आशंका, भय और निराशा भरा रोमांच होगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)