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अमेरिका में हर दिन कुछ न कुछ अनहोना

अमेरिका में ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। डोनाल्ड ट्रंप देश के पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन पर 91 आपराधिक आरोप हैं और इस बात की प्रबल संभावना है कि उन्हें जेल के सींखचों के पीछे जाना पड़े। और अब एक नया अनहोना मामला है हाउस ऑफ रिप्रेंसटेटिव्स के स्पीकर कैविन मेकार्थी को पद से हटाने का।

ट्रंप के बाद के दौर में अमेरिका की राजनीति में अराजकता, अनिश्चितता और निष्क्रियता का माहौल है।ध्यान रहे बाइडन ने उथल-पुथल भरी नाटकीय परिस्थितियों में सत्ता संभाली थी, और मेकार्थी भी अफरातफरी के माहौल में 15 दौर के मतदान के बाद स्पीकर बने थे। उन्होंने तब सार्वजनिक तौर पर ट्रंप का शुक्रिया अदा करते हुए कहा था कि ट्रंप द्वारा किए गए टेलिफोन काल्स भी उनकी जीत में मददगार थी।और इस सप्ताह जिस दिन मेकार्थी को उनकी ही पार्टी के कुछ सांसदों द्वारा हटाए जाने की घटना हुई उसी दिन पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के संभावित उमीदवार, धोखाधड़ी के आरोप में अदालत में थे। एक अन्य अदालत में राष्ट्रपति के बेटे हंटर बाइडन मौजूद थे। वे विराजमान राष्ट्रपति की वह पहली संतान है जिस पर  आपराधिक मामले में अभियोग लगा है। उन्होंने बन्दूक रखने संबंधी फ़ेडरल कानून के उल्लंघन के मामले में बेकसूर होने का दावा किया।

मेकार्थी के मामले पर लौटें। उनके पद संभालने के एक वर्ष के अंदर ही अति दक्षिणपंथी रिपब्लिकनों ने उनके विरूद्ध कदम उठाना शुरू कर दिया। जाहिरा तौर पर यह अभियान मुख्यतः अहंकार, और इस बात को लेकर द्वेष और क्रोध से प्रेरित था कि उन्होंने डेमोक्रेटस के सहयोग से लघु-अवधि का वित्तीय व्यवस्था संबंधी प्रस्ताव पारित करवाया ताकि सरकार का शटडाउन टाला जा सके।

मेकार्थी को हटाए जाने से रिपब्लिकन पार्टी का भीतरी टकराव सामने आया हैं। अमेरिकी राजनीति भारत की तरह होती जा रही है – विद्वेषपूर्ण और जिसके बारे मैं यह नहीं कहा जा सकता कि आगे क्या होगा। रिपब्लिकन पार्टी,  जो पहले अपने सख्त अनुशासन के लिए जानी जाती थी, को संभालना अब मुश्किल होता जा रहा है। मेकार्थी को हटाने के अभियान का नेतृत्व फ्लोरिडा के मेट गेट्ज और ट्रंपिस्ट फ्रीडम काकस के अन्य अतिदक्षिणपंथी सदस्यों ने किया। स्पीकर के पद की दौड़ में जिम जार्डन और स्टीव जिन्होंने एक बार स्वयं को ‘डेविड डयूक‘ (कू क्लक्स क्लेन के पूर्व नेता) कहा था, सबसे आगे हैं।

जीत जिसकी भी हो, उसे उन्हीं अतिरूढ़िवादियों से निपटना होगा। सरकार के आंशिक शटडाउन का खतरा बना हुआ है, क्योंकि 17 नवंबर के पहले और धन की व्यवस्था जरूरी है। और मेकार्थी को हटाए जाने का असर वाशिंगटन से बहुत दूर तक हुआ है। डेमोक्रेटस ने यूक्रेन युद्ध के लिए रकम की प्रावधान के बिना प्रस्ताव को पारित करने में इस आशा से सहायता की थी कि मेकार्थी इसके लिए अलग से प्रावधान करवाएंगे। पर वैसा नहीं हुआ।

डेमोक्रेटस को रिपब्लिकन्स की आपसी लड़ाई का लाभ मिल सकता है जो अधिकाधिक आत्ममुग्ध और अतिवादी होते जा रहे हैं। लेकिन इससे मतदाता इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि सभी राजनीतिज्ञ उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं हैं – और इसलिए कामकाज को पटरी पर लाने के लिए एक विध्वंसक और सशक्त व्यक्ति की जरूरत है। ट्रंप को उम्मीद है कि यह धारणा लोगों में बलवती होगी। आखिरकार अमेरिका में कुछ भी क्यों न हो, दुनिया का गुजारा उसके बिना नहीं हो सकता। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

 

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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