वह रात डेमोक्रेटों के नाम थी और शिकागो हर्षोल्लास में डूबा हुआ था। सचमुच सोमवार की रात डेमोक्रेटिक पार्टी के सम्मेलन में उत्साह चरम पर था। कई महीनों तक के शर्मसार करने वाले, निराशाजनक हालातों और मैदान से लगभग बाहर हो जाने के बाद, पार्टी उत्साह और प्रसन्नता में डुबी हुई थी। जोश था, आशा थी, ऊर्जा थी और कुछ अच्छा होने की उम्मीदें भी। यह रात भावुकतापूर्ण थी, आँखों में आंसू लाने वाली थी और अलविदा कहने वाली रात भी थी। क्योंकि इस रात यह सौ प्रतिशत तय हुआ कि राष्ट्रपति बाइडन का राजनैतिक जीवन समाप्त हो रहा है।
एक महीने पहले तक स्थिति यह थी कि जो बाइडन गुरूवार को, सम्मलेन के अंतिम दिन, 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी स्वीकार करने का भाषण देने वाले थे। इसकी बजाय वे अपना फेयरवेल भाषण दे रहे थे। अश्रुपूरित आंखों, दुःख और अफसोस की भावना पर काबू पाते हुए, बाइडन ने एक अलग किस्म का भाषण दिया। उन्होंने अपनी विरासत के बारे में कुछ नहीं कहा, अपनी तारीफों के पुल नहीं बांधें, और केवल वही बातें कहीं जिन्हें कहा जाना जरूरी था। उनका एक घंटे का भाषण सम्मेलन के पहले दिन के अंत में हुआ, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति बतौर अपने निर्णयों का जमकर बचाव किया।
उन्होंने 6 जनवरी के बलवे सहित ट्रंप प्रशासन के कुछ काले कारनामों की एक बार फिर चर्चा की और ट्रंप की अमेरिका के बारे में सोच पर हमला बोला। उन्होंने कमला हैरिस की तारीफ की और आशा व्यक्त की कि “यदि राष्ट्रपति के पद पर एक दोषसिद्ध अपराधी की जगह एक अभियोजक होगा तो अपराधों में कमी आएगी”। उन्होंने हैरिस और वाल्ज़ की तारीफ करते हुए उन्हें “सर्वश्रेष्ठ कार्यकर्ता” बताया। वहां जमा भीड़ पूरे समय ‘वी लव जो’ के नारे लगाते रही। बाइडन का जोश साफ़ दिख रहा था और उनका फोकस भी स्पष्ट था। उन्होंने अपनी जीवन यात्रा का संक्षिप्त विवरण देते हुए बताया कि कैसे अटक-अटक कर बोलने वाला एक बच्चा व्हाईट हाउस तक पहुंचा और उसके बाद उसने युवा पीढ़ी के लिए जगह खाली कर दी।
सबसे युवा से लेकर सबसे बुजुर्ग होने तक बाइडन ने अमेरिका की जैसी खिदमत की है वैसी उनके किसी पूर्ववर्ती ने नहीं की। मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है मैं बाइडन की प्रशंसक हूं और मेरे लिए यह देखना अत्यंत निराशाजनक है कि जिस व्यक्ति ने अपने व्यक्तिगत जीवन के जख्मों और तकलीफों का सामना करते हुए पार्टी को अपना सब कुछ दे दिया, वह इस तरह से अलविदा लेते हुए है।
ज़रा सोचिए, जो बाइडन के मन में अंतिम भाषण देते समय कौन-से विचार कौंध रहे होंगे? निश्चित ही यह एक खट्टा-मीठा क्षण होगा। चेस्टर आर्थर के बाद वे पहले ऐसे राष्ट्रपति के रूप में शिकागो पहुंचे जिसे दूसरे कार्यकाल के लिए पार्टी ने नामांकित नहीं किया। उनकी जगह जिसे नामांकित किया गया, उसे लेकर मनाए जा रहे जश्न को भी उन्होंने महसूस किया होगा। और इस अहसास से उन्हें तकलीफ हुई होगी कि उनके बलिदान का उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में ऐसे फैसले लिए जिनका अच्छा प्रभाव हुआ, जो रणनीतिक दृष्टि से सही साबित हुए, जिनसे वे एक बेहतर राष्ट्रपति माने गए। ऐसा उनके पूर्ववर्तियों बराक ओबामा एवं क्लिंटन के मामले में नहीं हुआ। लेकिन उनके करियर की समाप्ति जिस ढंग से हो रही है, वह वैसी नहीं है जैसी उनके योगदान के मद्देनजर होनी चाहिए थी।
सोमवार की रात वाकई डेमोक्रेटस के नाम थी। वहां वास्तव में लोकतंत्र की जीत हुई। बाइडन दौड़ से हट गए और उन्होंने एक नायक की तरह निस्वार्थ भाव से अपने उत्तराधिकारी के लिए जगह खाली कर दी। जश्न के बीच सम्मेलन के पहले दिन उम्मीदें बढ़ने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप का खतरा अब भी गंभीर बना हुआ है। रायशुमारियों में बेहतर होती स्थिति और हैरिस और वाल्ज के प्रति बढ़ता हुआ समर्थन नजर आने के बावजूद डेमोक्रेट इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि गाजा से जुड़े तर्क-वितर्क, जो सम्मेलन के दौरान शिकागो की सड़कों पर चर्चा का मुख्य विषय बने हुए थे, कितने गंभीर हैं और देश के लिए सबसे बड़ा भावनात्मक मुद्दा बने हुए हैं। अब डेमोक्रेटिक पार्टी की कमान कमला हैरिस के हाथ में है। जो बाइडन नेपथ्य में चले गए हैं। उन्होंने राजनीति से गरिमामय विदाई ले ली है और उनके आने वाले दिन छुट्टियां मनाने और परिवार के साथ व अपने पसंदीदा काम करने में बीतेंगे। इस बुजुर्ग व्यक्ति का इतना हक तो बनता ही है। उन्होंने अमरीका के लिए वह सब किया जो वे कर सकते थे। जैसा उन्होंने अपने अंतिम भाषण में भी कहा: “अमरीका – मैंने अपना सर्वोत्तम तुम्हें दे दिया”। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)