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मुकाबला हुआ दिलचस्प

अमेरिकी चुनाव दिनोदिन दिलचस्प हो गए हैं। लेकिन इससे भी अहम बात यह कि लोगों को विकल्प और मौका मिलता लगता है। पिछले दो हफ़्तों में बहुत कुछ बदला है।

59 वर्षीय कमला हैरिस ने देश में चुनावों के प्रति कौतुक और उत्साह जगा दिया है तो 60 साल के उनके उपराष्ट्रपति उम्मीदवार टिम वाल्स ने भी उम्मीदें पैदा की हैं। मिनेसोटा के गवर्नर अब तक राजनीति की चमक-दमक और ठाठ-बाट से दूर थे। कई लोग उन्हें जानते तक नहीं थे। वे पहले सेना में रहे, फिर वे जियोग्राफी के शिक्षक और हाईस्कूल के छात्रों के फुटबाल कोच। उन्होंने एक साल तक चीन में शिक्षक के रूप में कार्य किया और उम्र के चौथे दशक में राजनीति में प्रवेश किया।

वे चाईनीज मेंडरिन भाषा धाराप्रवाह बोल लेते हैं, शिकार और नक्शों के शौकीन हैं और जिन छोटे-छोटे शहरों में वे पले-बढ़े है उनके बारे में चुटकुले सुनाने में माहिर हैं। वे 1980 के बाद से डेमोक्रेटिक पार्टी के ऐसे पहले उम्मीदवार हैं, जो वकील नहीं है। हालांकि वाल्ज़ और हैरिस लगभग एक आयु के हैं लेकिन वाल्ज़ अधिक उम्र के नजर आते हैं। वे एक प्यारे से दादाजी नज़र आते हैं। मिडवेस्टर्न (अमेरिका के मध्य-पश्चिमी हिस्से के राज्य) लोगों की तरह वाल्ज़ भी खरी-खरी कहने में यकीन रखते है। उनमें एक तरह का रूखापन है। मगर साथ ही वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें आप चाह सकते हैं, जिनकी सौम्यता आपको प्रभावित कर सकती है। डेमोक्रेटिक पार्टी को अमेरिका के तटीय इलाकों के तकनीकी पेशेवरों की पार्टी के रूप में देखा जाता है। इस छवि को वाल्स ने तोड़ा है।

हैरिस द्वारा वाल्स को चुनना आश्चर्यजनक है, बहुतों की नजर में यह लीक से हटकर है। अंतिम समय तक पेन्सिलवेनिया के गवर्नर जोशुआ शापिरो की संभावनाएं सबसे बेहतर नजर आ रही थीं। लेकिन जहां तक डेमोक्रेटिक पार्टी का  प्रश्न है, यह चुनाव नाटकीय, आश्चर्यों भरा और परंपराओं से हटकर साबित हो रहा है। और मज़े की बात यह कि अंततः सब कुछ शांति से संपन्न हो जाता है। हालांकि शापिरो कई पैमानों पर वाल्स से बेहतर थे – वे युवा हैं, ऊर्जावान राजनेता हैं औैर उनका मध्यमार्गीय अतीत है, वे अपने गृहराज्य में लोकप्रिय हैं लेकिन उनके चयन की संभावनाओं से पार्टी के कई नेता अप्रसन्न थे।

प्रगतिशीलों की नजरों में वे ज्यादा ही मध्यमार्गी थे। लेकिन ज्यादातर लोग उनके इजराइल के प्रति जबरदस्त  समर्थक रवैये (बेंजामिन नेतन्याहू के कटु आलोचक होने के बावजूद) के कारण उन्हें उम्मीदवार बनता नहीं देखना चाहते थे।  आखिरकार इजराइल-गाजा युद्ध जो बाइडन के गले की फाँस बना हैतो वाल्स के पक्ष में मिनेसोटा का अतीत और उनकी प्रतिष्ठा काम आई।

सन् 2023 में वाल्स ने अपने प्रदेश में एक जबरदस्त अभियान प्रारंभ किया, जिसमें उन्होंने गर्भपात संबंधी अधिकारों को संहिताबद्ध किया। स्कूलों में निःशुल्क लंच की व्यवस्था की।बन्दूक रखने की अनुमति देने के पहले संबंधित व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जांच को अनिवार्य बनाया।गांजे का उपयोद विधि सम्मत किया और श्रमिकों को सवैतनिक अवकाश देना अनिवार्य बनाया।

अंत भला तो सब भला। मौजूद चुनावी दौर में पहली बार डेमोक्रेट बंटे हुए नजर नहीं आ रहे हैं। वे एकजुट, उल्लासित और डोनाल्ड ट्रंप व जेडी वेन्स से दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं। वहीं डेमोक्रेट मतदाता भी उत्साह और स्फूर्ति से भरे हुए हैं। हैरिज और वाल्स की यह ताजगी भरी जोड़ी, जो नए और पुराने का मिश्रण है, ने उनकी उम्मीदें जगा दी हैं। उन्हें बदलाव नजर आ रहा है, आशा नजर आ रही है, उन्हें स्वयं में वही ऊर्जा महसूस हो रही है जो ओबामा के दौर में महसूस होती थी।

इसमें कोई  शक नहीं कि हैरिस- वाल्स की जोड़ी ट्रंप-वेन्स की जोड़ी को पछाड़ने की ताकत रखती है। हैरिस के चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा करने के बाद से ही माहौल बदलने लगा था। अक्टूबर 2023 के बाद पहली बार विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर डेमोक्रेट उम्मीदवार  रिपब्लिकन उम्मीदवार से आगे हो गया है। और इस बात की संभावना है कि चुनाव इस हद तक कांटे की लड़ाई में बदल जाए कि उसके नतीजे का ठीक-ठीक अनुमान लगाना असंभव हो जाए, विशेषकर यह पता लगाना कि इलेक्टोरल कॉलेज में किसे बहुमत मिलने की संभावना है। लेकिन फिलहाल अमेरिकी चुनाव वाकई दिलचस्प बन गया है। चुनावी दौड़ अब दो बुजुर्गों की कटु लड़ाई नहीं रह गई बल्कि एक बुजुर्ग और हैरिज और वाल्ज़ की जीवंतता के बीच का संघर्ष बन गई है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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