रिपब्लिकन पार्टी की दूसरी प्रायमरी डिबेट में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर गैर-मौजूद थे। दूसरे उम्मीदवारों ने उनके गायब रहने पर गुस्सा, नाराज़गी और झुंझलाहट जाहिर की। लेकिन इसके बाद भी, व्हाईट हाउस का अगला किरायेदार बनने के सातों रिपब्लिकन आकांक्षी मिलकर भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ माहौल बनाने में नाकामयाब रहे। पूर्व राष्ट्रपति अभी भी दौड़ में सबसे आगे हैं और उन्हें पसंद करने वालों की संख्या न सिर्फ रिपब्लिकनों में सबसे ज्यादा है बल्कि वे जो बाइडन से भी आगे हैं। डेसांटिस – जिनके बारे में कहा जाता है कि वे इस दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं – ने ट्रंप का मज़ाक बनाते हुए उन्हें ‘मिसिंग इन एक्शन’ बताया। डेसांटिस ने कहा, “उन्हें आज इस मंच पर मौजूद होना चाहिए था। उनका फ़र्ज़ है कि आपको बताएं कि उन्होंने जो कुछ किया वह क्यों किया।” लेकिन इस बात पर वहां मौजूद लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा।
हालांकि ट्रंप चार गंभीर आपराधिक प्रकरणों में 91 मुकदमों का सामना कर रहे हैं, इसके बावजूद रिपब्लिकन पार्टी की प्रायमरी के अन्य उम्मीदवार जनमत सर्वेक्षणों में उनकी अच्छी-खासी बढ़त को कम करने में नाकामयाब रहे हैं। एनबीसी न्यूज द्वारा इस माह करवाए गए एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार जिन मतदाताओं के प्रायमरी में रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करने की संभावना है, उनमें से 59 प्रतिशत ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं, जिसका मतलब यह है कि उन्हें डेसांटिस पर 43 पाईंट की बढ़त हासिल है। ट्रंप और डिसांटिस के अलावा रिपब्लिकन पार्टी के सभी प्रायमरी उम्मीदवारों को 10 से कम प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिल पा रहा है।
इस बीच ट्रंप का इरादा अगली डिबेट में भी भाग न लेने का है। वे इसकी बजाए रैलियां कर रहे हैं। जैसे एक रैली उन्होंने मिशिगन में की जहां वाहन कारखानों के मजदूर तनख्वाह में बढोत्तरी की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। एक दिन पहले जो बाइडन भी इन हड़ताली कर्मियों के धरना स्थल पहुंचे थे। ऐसा लगा मानों यह 2024 के चुनाव का प्रीव्यू था।
लेकिन भले ही जनता पर ट्रंप की मजबूत पकड़ कायम हो, उनकी कानूनी झंझटें बढ़ रही हैं और वे अदालती मामलों में उलझे हुए हैं। उन्हें सच का सामना करना ही होगा।
हाल में न्यूयार्क के एक न्यायाधीश ने फैसला दिया कि पूर्व राष्ट्रपति का व्यापारिक साम्राज्य बड़े पैमाने पर की गई धोखाधड़ी और जबरदस्त झूठ की नींव पर खड़ा किया गया है। न्यायाधीश ने न्यूयार्क के एटार्नी जनरल लेटीशा जेम्स को सही ठहराया जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ एक दीवानी मुकदमा दायर किया है। दंडस्वरूप न्यायाधीश आर्थर एफ एंगोरान ने ट्रंप टावर और सेन्ट्रल पार्क के सामने स्थित ट्रंप इंटरनेशनल होटल का संचालन करने के ट्रंप के लाईसेंस को तो लगभग निरस्त कर ही दिया, उनके पारिवारिक व्यापारिक साम्राज्य, जिसे उन्होंने पिछली आधी सदी में बनाया है, का काफी बड़ा हिस्सा भी खतरे में आ गया है। इस फैसले से न्यूयार्क का उनका ज्यादातर कारोबार अधर में लटक जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का ट्रंप के व्यवसाय पर बहुत घातक असर होगा और उनका रियल एस्टेट साम्राज्य ताश के पत्तों के महल की तरह ढह सकता है।
न्यायाधीश एंगोरान के आदेश का यह नतीजा भी हो सकता है कि ट्रंप आर्गेनाईजेशन ही खत्म हो जाए, उन्हें अपनी बहुत सी अचल सम्पत्ति बेचने पर बाध्य होना पड़े और न्यूयार्क में उनका कारोबार बंद हो जाए। इसका यह भी अर्थ है कि भले ही संपत्तियों पर उनका स्वामित्व बना रहे लेकिन न तो ट्रंप और ना ही उनके दो पुत्र – डोनाल्ड जूनियर और एरिक ट्रंप, जिन्हें भी इस मामले भी आरोपी बनाया गया है –अदालत की अनुमति के बिना अपना व्यापार नहीं चला पाएंगे। इस घटनाक्रम पर ट्रंप ने अपने विशिष्ट अंदाज में आक्रामक प्रतिक्रिया दी। किसी भी प्रकार की अनियमितता के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने एटार्नी जनरल लेटीशा जेम्स और न्यायाधीश एंगोरान पर हमला करते हुए कहा कि ये दोनों डेमोक्रेट हैं। मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में ट्रंप ने न्यायाधीश एंगोरान को ‘विक्षिप्त’ बताया।
न्यूयार्क का प्रकरण ट्रंप के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि इससे उनकी प्रतिष्ठा और उनकी मानसिक स्थिति दोनों पर गंभीर दुष्प्रभाव हुआ है। उनका दावा है कि यह प्रकरण उनकी राजनैतिक प्रताड़ना का परिणाम है और उनके कुछ समर्थकों को यह सही लगेगा, लेकिन यदि धोखाधड़ी के प्रमाण मिल गए तो ट्रंप के लिए आरोपों से राजनैतिक लाभ उठाना मुश्किल हो जाएगा। ट्रम्प कई दशकों से यह सब करते रहे और पकड़े नहीं गए। नतीजे में उन के मन से डर एकदम निकल गया। उनका और उनके विरोधियों दोनों का मानना था कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि जज उन्हें सज़ा देगा। न्यायाधीश एंगोरान ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा ‘‘यह सपनों की दुनिया है, असली दुनिया नहीं है”।डोनाल्ड ट्रंप को अंततः असली दुनिया का स्वाद चखना पड़ रहा है और हो सकता है कि रिपब्लिकनों की तीसरी डिबेट तक स्थिति और कठिन, और बुरी हो जाए। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)