
भाजपा में शामिल होने के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड सीधे राज्यसभा भेजे जाते हैं या फिर संगरूर लोकसभा का उप-लड़कर संसद में पहुँचेंगे यह बात बाद की है पर फिलाहल तो चर्चा जाखड को पंजाब में भाजपा का बड़ा हिंदू चेहरा बनाने की बताई जा रही है। पंजाब विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पिटी भाजपा अपनी हार को सहलाती दिख रही है। और इससे भी ज़्यादा भाजपा को सूबे में आप पार्टी की सरकार बनने का दर्द है। सो वह किसी भी तरह पंजाब में अपना असर बनाए रखना चाहती है।
हालाँकि भाजपा पहले ही से पंजाब में पांव पसारने के फेर में थी। इसी के चलते उसने पहले नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में ज़माने की कोशिश की पर जब सिद्धू फेल हुए और भाजपा छोड कांग्रेस में चले गए तो भाजपा ने अकाली गठबंधन तोड़ कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के साथ सरकार बनाने की उम्मीद साधी लेकिन भाजपा यहाँ भी फेल हुई। पंजाब के साथ साथ दिल्ली में भी बादल गुट को निपटाने के लिए बादल के करीबी माने जाने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा को पार्टी में शामिल कराया। अकालियों का तो कहना है कि सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कई मामलों में फँसे थे जिसके चलते उन्हें दिक़्क़त भी संभव थी सो वह खुद ही बादल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने की बात कह भाजपा में शामिल हो गए और तभी से पार्टी किसी तरह पंजाब में खुद को मज़बूत करने की कोशिश में लगी है। अब यही कोशिश जाखड के ज़रिए वह कर लेना चाहती है।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जाखड की मार्फ़त भाजपा पंजाब में जहां हिंदू वोट साधना चाहती है वहीं वह पंजाब के जाट वोटों पर जाखड के जरिए असर बनाए रखना चाहती है। अकाली दल बादल के दो वरिष्ठ नेताओं का तो मानना है कि भाजपा जाखड को पंजाब में हिंदू चेहरा बना भगवंत मान की ख़ाली हुई संगरूर सीट से उप-चुनाव लड़ाने की तैयारी में है। और यह भी कि पार्टी पहली बार अपने बूते उप-चुनाव लड़कर अपनी ताक़त को टटोल भी लेना चाहती है। अब भाजपा पंजाब में क्या कुछ कर दिखा पाएगी यह अलग बात है पर अकालियों को तो भाजपा की इन कोशिशों से बहुत ज़्यादा उम्मीद भी नहीं है। वे तो मानते भी हैं कि जिस तरह पंजाब में आप पार्टी काम कर रही है उस हिसाब से वह पंजाब के लोगों को ज़्यादा दिन खुश नहीं रख पाएगी और अकालियों की फिर वापिसी तय है न कि भाजपा की।