बात बतंगड़

भाजपा के हुए तो सुर बदले नेताजी के

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भाजपा के हुए तो सुर बदले नेताजी के
दिल्ली के एक अकाली नेता ने भाजपा का दामन क्या थामा कि वे खुद को राजनीति में खुदा समझने लगे हैं। किसी भी विरोधी पार्टी के नेता के ख़िलाफ़ वे बेबाक़ बयान देने से चूकते नहीं। अब ऐसा वे पार्टी में अपनी खाल बचाने को लेकर दे रहे हैं या फिर सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी राजनीति चमकाने के लिए बात अलग बात है पर नेताजी का चंद दिनों पहले जो क़द था वह तो शायद ऐसा नहीं था या इससे पहले भी। पिछले हफ़्ते कांग्रेसी नेता की गिरफ़्तारी हुई तो अपने इन नेताजी को शायद राजनीति चमकाने का मौक़ा मिल गया। बोले सिद्धू जहाँ जांएगे वहाँ तबाही करेंगे। या फिर यह कि कांग्रेस को ख़त्म करने करने के लिए सिद्धू ही काफ़ी हैं। अब इन नेताजी से कोई यह पूछे कि सिद्धू को तो अदालत के आदेश पर जेल भेजा गया है भला वहाँ वे किसे तबाह करेंगे,और किसे आबाद ।या जो लोग पहले जेल भेजे गए हैं उन्होंने किन किन को तबाह कर दिया? भला हुआ कि अपने नेताजी ने मौक़ा रहते भाजपा का दामन थाम लिया वरना तो आज उन्हें भी पुलिस तलाश रही होती। आख़िर गुरुद्वारा कमेटी में रहते नेताजी के ख़िलाफ़ कितने मामले दर्ज हुए हैं पता तो उन्हें है ही। अब पंजाब के ही एक पूर्व कांग्रेसी मंत्री ने सिद्धू पर जब यह आरोप लगाया कि सिद्धू भाजपा के हैं ,कांग्रेस को पंजाब में उन्होंने ही बर्बाद किया है या फिर यह कि सिद्धू कहीं भाजपा में शामिल न हो जांए तो नेताजी चुप रहते भी तो कैसे सो ज्यों हत्या के एक मामले में सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई गई अपने नेताजी भी सतर्क हो लिए और सिद्धू के ख़िलाफ़ बयान ठोक दिया । भला अपने नेताजी ने सिद्धू के ख़िलाफ़ यह बयान किस अंदाज में और किस मक़सद से दिया होगा यह तो वही जाने पर पंजाब के पूर्व कांग्रेसी मंत्री का यह कहना कि सिद्धू की सजा के पीछे अपने इन नेताजी का हाथ है तो कहीं न कहीं नेताजी का बयान उनकी चिंता तो जताता ही है। और ख़ासतौर से तब जबकि भाजपा में सिख और मुस्लिम नेता कम हों। तभी नेताजी के बयान के बाद सिख नेताओं को यह समझना पड़ रहा है कि कहीं इन नेताजी को यह डर तो नहीं कि जिन हालातों में नेताजी ने भाजपा का दामन थामा था वैसे ही सिद्धू की मजबूरी भी तो भाजपा में शामिल होने की नहीं।
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