congress headquarters kotla road: कांग्रेस पार्टी कमाल करती है। उसने ढाई सौ करोड़ रुपए खर्च करके अपना नया मुख्यालय बनाया है लेकिन उसका मेन एंट्रेस पिछले दरवाजे को बनाया है।
इस तरह का कॉमेडी ऑफ एरर इस देश के पहले पांच सितारा होटल के साथ हुआ था। मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के सामने बने ताजमहल पैलेस होटल के आर्किटेक्ट विदेशी थे और उन्होंने जो डिजाइन बनाया था, होटल का निर्माण उसके उलट हो गया।
यानी होटल का मेन एंट्रेस समुद्र की ओर होने की बजाय दूसरी तरफ हो गया। बाद में पिछले दरवाजे को मेन एंट्रेस बनाया गया। लेकिन वह अनजाने में हुआ था।
कांग्रेस पार्टी ने जान बूझकर और विशुद्ध असहिष्णुता की वजह से उसने कांग्रेस के नए मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन के पिछले दरवाजे को मेन एंट्रेस बनवाया। इसका एकमात्र कारण यह था कि मेन एंट्रेस दीनदयाल उपाध्याय रोड पर पड़ता है।
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सोचें, राहुल गांधी सारे दिन मोहब्बत की दुकान खोल कर बैठे रहते हैं और सहिष्णुता, सद्भाव की बात करते हैं लेकिन उनकी पार्टी का कार्यालय भारतीय जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के नाम वाली सड़क पर हो यह कबूल नहीं है।
कांग्रेस का मुख्यालय मुगल शासक अकबर के नाम वाली सड़क पर था तो राहुल गांधी को दिक्कत नहीं थी।
इसी तरह तुगलक वंश के एक शासक फिरोजशाह तुगलक के बनवाए किले फिरोजशाह कोटला के नाम वाले कोटला मार्ग पर पार्टी मुख्यालय का पता रखने में भी दिक्कत नहीं है।
लेकिन दीनदयाल उपाध्याय के नाम वाली सड़क पर मुख्यालय का पता नहीं हो सकता है। सोचें, इस असहिष्णुता पर!
उसी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर गांधी शांति प्रतिष्ठान भी है और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भवन भी है लेकिन कांग्रेस को इससे मतलब नहीं है।
कांग्रेस को मतलब है कि उसी मार्ग पर भाजपा पांच सौ मीटर की दूरी पर भाजपा का भी मुख्यालय है। सवाल है कि अगर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर कांग्रेस का मुख्यालय होता तो उससे क्या हो जाता?
क्या इतने भर से कांग्रेस की विचारधारा प्रदूषित हो जाती? जो हो लेकिन कांग्रेस मुख्यालय में एंट्री अब पिछले दरवाजे से होगी और पता होगा 9ए, कोटला मार्ग, नई दिल्ली।