आम आदमी पार्टी को राजनीतिक कामयाबी चाहे जितनी मिली हो लेकिन इसमें किसी को संदेह नहीं है कि दांवपेंच में पार्टी किसी से पीछे नहीं है, बल्कि दो कदम आगे है। तभी हैरानी हो रही है कि कैसे उसने खुद अपनी कमजोरी सबके सामने जाहिर कर दी, खासतौर से कांग्रेस के सामने? दिल्ली की आप सरकार के मंत्री और पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली और पंजाब में चुनाव न लड़े तो आम आदमी पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेगी। सोचें, यह कहने का क्या मतलब है? क्या कांग्रेस पार्टी की ओर से किसी ने आप से कहा था कि वह राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव न लड़े?
हकीकत यह है कि कांग्रेस की ओर से किसी ने आप से कुछ नहीं कहा था। मीडिया में जरूर यह लिखा जा रहा था कि आम आदमी पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ेगी, जिसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। इस आधार पर कांग्रेस की ओर से कम से कम सार्वजनिक रूप से किसी ने आप से अनुरोध नहीं किया था कि वह चुनाव नहीं लड़े। किसी ने गोपनीय रूप से भी नहीं कहा होगा क्योंकि अगर कहा होता तो उस दिन प्रेस कांफ्रेंस में भारद्वाज इस बारे में जानकारी देते। जाहिर है आम आदमी पार्टी ने अपनी तरफ से यह प्रस्ताव दिया है कि अगर कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में नहीं लड़े तो वह राजस्थान व मध्य प्रदेश में नहीं लड़ेगी।
इस तरह से पार्टी ने चारों राज्यों में अपनी कमजोरी जाहिर कर दी है। इससे साफ हो गया है कि पार्टी की राजस्थान और मध्य प्रदेश में कोई तैयारी नहीं है। भले अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की रैलियां हो रही हैं लेकिन पार्टी को पता है कि कुछ हासिल नहीं होना है। उसकी देशा कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसी होगी, जहां सारे उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। कर्नाटक में तो पार्टी को सिर्फ 0.58 फीसदी वोट मिले थे, जबकि उसके उम्मीदवार दो सौ से ज्यादा सीटों पर लड़े थे। सोचें, अगर आप की राजस्थान और मध्य प्रदेश में तैयारी होती और आधार मजूबत होता क्या वह इस तरह से कहती कि अमुक दो राज्य छोड़ दीजिए तो हम इन दो राज्यों में नहीं लड़ेंगे?
पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है लेकिन इन दो राज्यों में भी उसकी कमजोरी जाहिर हो गई है। यह स्पष्ट हो गया है कि अगर कांग्रेस लड़ेगी तो इन राज्यों में भी आप के लिए कोई संभावना नहीं है। आखिर 2019 में दिल्ली में आप के पास 70 में से 67 विधानसभा सीटें थीं और कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं था पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 22.51 फीसदी और आप को 18.11 फीसदी वोट मिले थे। यानी कांग्रेस को आप से साढ़े चार फीसदी ज्यादा वोट मिले थे। इसी तरह पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी और 20 सीट के साथ आप मुख्य विपक्षी पार्टी थी, लोकसभा में उसके चार सांसद थे पर 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 7.38 फीसदी वोट मिले और उसका एक सांसद जीत सका, जबकि कांग्रेस को 40 फीसदी वोट मिले और उसके आठ सांसद जीते। जाहिर है विधानसभा चुनाव में जो भी स्थिति रहती हो लोकसभा में लोग आप की बजाय कांग्रेस को ज्यादा वोट करते हैं और इसी चिंता में आप ने कांग्रेस से दिल्ली और पंजाब छोड़ने की बात कही है।