राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव में अभी दो साल बाकी हैं लेकिन उससे पहले एक मिनी चुनाव हो रहा है। विधानसभा चुनाव में कई पार्षदों के विधायक बन जाने और अन्य वजहों से खाली हुई एमसीडी की 12 सीटों पर चुनाव हो रहा है। नगर निगम के पिछले चुनाव में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को हरा कर निगम पर कब्जा किया था। अब दोनों के लिए 12 सीटों का चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है। आम आदमी पार्टी को दिखाना है कि दिल्ली में उसका आधार पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकी अब पंजाब विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल से भी कम समय रह गया है और आम आदमी पार्टी को हर हाल में पंजाब की सरकार बचानी है। वह सरकार बचेगी तभी गुजरात या गोवा जैसे किसी राज्य में पार्टी की पैदा होगी और दिल्ली में वापसी की संभावना बनेगी। इसमें तरनतारन विधानसभा सीट का उपचुनाव भी अहम है। दूसरी ओर भाजपा को दिखाना है कि साल के शुरू में उसको जो समर्थन मिला था वह कायम है।
दिल्ली में भाजपा की रेखा गुप्ता की सरकार बने एक साल नहीं हुए हैं। लेकिन पहले साल में ही लोगों ने बारिश में नालों का जाम होना और सड़कों का जलजमाव भी देख लिया, छठ पर यमुना की गंदगी भी देख ली और अब सर्दियों में वायु प्रदूषण भी देख लिया। तभी भाजपा के लिए यह चुनाव मुश्किल होना चाहिए था लेकिन ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टी आप ही ज्यादा मुश्किल में है। पहले तो उसके पूर्व विधायक शुएब इकबाल ने पार्टी छोड़ दी। उनके बेटे आले मोहम्मद इकबाल मटिया महल से आप के विधायक हैं। दोनों पिता, पुत्र चांदनी महल वार्ड से अपने रिश्तेदार को आप का उम्मीदवार घोषित कर चुके थे लेकिन आप ने इनकी पसंद को खारिज करके अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद आप ने कहा कि इस बार उसने सिर्फ अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है। बाहर से आए लोगों को या नेताओं के रिश्तेदारों को नही दिया है। लेकिन पार्टी की तैयारियों में इतनी कमी दिखी कि उसने ढिचाऊं कलां की महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर पुरुष उम्मीदवार की घोषणा कर दी। इसी तरह चार साल पहले रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला को भी आप ने टिकट दिया है।
