जिस बात की संभावना जताई जा रही थी वही हुआ। आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने अडानी समूह की जांच कराने से इनकार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि कोई ठोस सबूत नहीं हैं और सबूत मिलेंगे तो जांच होगी। गौरतलब है कि जब अमेरिका की अदालत में गौतम अडानी सहित आठ लोगों पर आरोप लगा था कि उन्होंने सोलर एनर्जी से जुड़ा ठेका हासिल करने के लिए भारत में करीब 22 सौ करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी या देने की योजना बना रही थी तो जो खुलासा हुआ था उसके मुताबिक सबसे ज्यादा 17 सौ करोड़ रुपए की रिश्वत आंध्र प्रदेश में दिए जाने की बात सामन आई थी। जिस समय रिश्वत दिए गए थे या देने की बात हुई थी उस समय राज्य में जगन मोहन रेड्डी की सरकार थी।
तभी कहा जा रहा था कि यह चंद्रबाबू नायडू के लिए स्वर्णिम मौका है क्योंकि वे जगन मोहन रेड्डी को जेल भेज कर अपने जेल जाने का बदला चुकाना चाहते हैं। परंतु उस समय भी यह समस्या बताई गई थी कि जगन मोहन को जेल भेजने की जिद में अगर आंध्र प्रदेश सरकार सोलर एनर्जी के करार की जांच कराती है तो अडानी समूह भी जांच के दायरे में आएगा और उसके ऊपर भी कार्रवाई करनी होगी। सवाल है कि नायडू सरकार ऐसा कैसे कर सकती है, जबकि वह भाजपा की सहयोगी और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार में शामिल है? जगन मोहन रेड्डी इस वास्तविकता से परिचित हैं इसलिए उन्होंने पहले दिन कह दिया कि उनकी सरकार ने कोई गड़बड़ी नहीं की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सीधे केंद्र सरकार की कंपने से करार किया है। यही बात अब आंध्र प्रदेश की नायडू सरकार भी कह रही है।