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अकाली दल से तालमेल होगा या नहीं?

शिरोमणी अकाली दल को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है। भाजपा के साथ उनका पुराना तालमेल रहा है। नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार में भी हरसिमरत कौर बादल मंत्री थीं। लेकिन तीन विवादित कृषि कानूनों के मसले पर उन्होंने इस्तीफा दिया था। पिछले कुछ समय से दोनों पार्टियों के बीच तालमेल की बात हो रही है। यहां तक खबर आई थी कि कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के जरिए सीट बंटवारे पर चर्चा हो रही थी। लेकिन अब बताया जा रहा है कि अकाली दल के नेता नाराज हैं और इस वजह से तालमेल की बातें स्थगित हो गई हैं।

असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एनडीए की 20 जुलाई की बैठक में अकाली दल से अलग हुए गुट के नेता सुखदेव सिंह ढींढसा शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने उनको प्रकाश सिंह बादल की विरासत का असली उत्तराधिकारी बताया था। उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि उनको खुशी है कि बाला साहेब ठाकरे और प्रकाश सिंह बादल के असली उत्तराधिकारी इस सम्मेलन में मौजूद है। मोदी ने एकनाथ शिंदे को बाल ठाकरे की विरासत का उत्तराधिकारी बताया था। बहरहाल, ढींढसा को महत्व दिए जाने और बादल का उत्तराधिकारी बताए जाने से सुखबीर बादल नाराज हैं। इस वजह से तालमेल और सीट बंटवारे की बात रूक गई है। हालांकि यह भी पूर्णविराम नहीं है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में बातचीत फिर शुरू हो। दोनों पार्टियों का पता है कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में तालमेल होता है तो उनको रोकने के लिए दोनों के साथ मिल कर लड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

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