समाजवादी पार्टी के नेताओं में कॉन्फिडेंस का गजब संचार हुआ है। इस कॉन्फिडेंस का नतीजा है कि वे कुछ भी बोल रहे हैं। संसद सत्र के दौरान सपा नेताओं ने जिस तरह से फैजाबाद की जीत को प्रचारित किया और वहां से जीते अवधेश प्रसाद को ट्रॉफी की तरह प्रस्तुत किया वह भी बढ़े हुए मनोबल का संकेत था। सपा नेताओं ने समझा ही नहीं कि फैजाबाद सीट को अयोध्या कह कह हिंदुओं को चिढ़ाने या उकसाने का कोई नुकसान भी हो सकता है। उसी तरह अब अखिलेश यादव ने अति आत्मविश्वास में कह दिया है कि सपा की सरकार 2027 में बनेगी तो सारे बुलडोजर गोरखपुर भेज देंगे। उनका यह बयान उलटा भी पड़ सकता है।
एक तरफ तो वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कह रहे हैं कि उनके बुलडोजर न्याय की सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना की है तो उनको माफी मांगनी चाहिए। फिर दूसरी ओर यह कह रहे हैं कि हमारी सरकार आई तो बुलडोजर गोरखपुर भेजेंगे। सवाल है कि योगी का बुलडोजर न्याय गलत है तो अखिलेश का मौका मिलने पर गोरखपुर में बुलडोजर चलवाना सही कैसे हो जाएगा? इससे तो यह जाहिर होता है कि योगी बुलडोजर का जो इस्तेमाल कर रहे हैं वह गलत है और अखिलेश जो करेंगे वह सही होगा। इसी तरह गोरखपुर हिंदुओं के एक बेहद पवित्र गोरक्षापीठ का केंद्र है, जहां के महंत योगी आदित्यनाथ हैं। वहां बुलडोजर भेजने की बात का जो मतलब निकाला जा रहा है वह भी सपा को नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है।