Amritsar mayor election : आम आदमी पार्टी ने चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में हुई धांधली का बड़ा मुद्दा बनाया था। उसने इसकी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी थी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आप का मेयर नियुक्त हुआ था।
चंडीगढ़ में नजदीकी मुकाबला था फिर भी कांग्रेस के समर्थन से आप ने जीत हासिल की थी और वह जीत पीठासीन अधिकारी के जरिए चुरा ली गई तो आप ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।(Amritsar mayor election )
लेकिन वही आम आदमी पार्टी अमृतसर में भारी अंतर से हार जाने के बाद मेयर का पद चुराने में लगी है। यह भी कह सकते हैं कि उसने कांग्रेस को दबा कर मेयर का पद चुरा लिया है।
वहां चंडीगढ़ की तरह नजदीकी मुकाबला भी नहीं है। नगर निगम चुनाव में आप बुरी तरह से हारी है(Amritsar mayor election )
85 सदस्यों के निगम में कांग्रेस ने 40 और आप ने सिर्फ 24 सीटें जीती हैं। फिर भी आप ने ऐलान कर दिया है कि उसका मेयर चुना गया।
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असल में सोमवार, 27 जनवरी को अमृतसर में मेयर का चुनाव होना था। हाउस की कार्यवाही शुरू होते ही आप ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के तीन पदों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की और उसके बाद पार्टी की ओर से बिना चुनाव हुए ऐलान कर दिया गया कि तीनों पदों पर उसकी जीत हो गई।
जबकि हाउस का समीकरण पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में था। कांग्रेस के अपने 40 और अकाली दल के चार व एक अन्य सदस्य के समर्थन से उसकी संख्या 45 हो गई थी।(Amritsar mayor election )
दूसरी ओर सात निर्दलीय और वोट डालने के लिए निर्धारित सात विधायकों की संख्या जोड़ कर आप की संख्या 38 पहुंच रही थी।
फिर भी आप ने ऐलान कर दिया कि तीनों पदों पर उसकी जीत हो गई। आप ने दावा किया कि अकाली दल के चारों पार्षद उसके साथ हैं।
लेकिन हकीकत यह है कि अकाली दल के चारों पार्षद कांग्रेस के साथ थे और उन्होंने आप के जीत के दावे के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
सोचें, केजरीवाल चंडीगढ़ में जिसे लोकतंत्र की हत्या करार दे रहे थी वही काम अमृतसर में खुद कर रहे हैं!(Amritsar mayor election )