Chandrababu Naidu: चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और भाजपा में परफेक्ट तालमेल दिख रहा है। दोनों पार्टियां हर मसले पर एक राय दिखा रही हैं।
यहां तक कि बिहार में चुनाव होने के बावजूद केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश को ज्यादा तवज्जो दी है। नीतीश के मुकाबले नायडू के हितों का ज्यादा ध्यान रखा जा रहा है।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि आंध्र प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपए की परियोजना दी गई है। इसके बावजूद अंदर अंदर दोनों पार्टियों में शह मात का खेल चल रहा है।(Chandrababu Naidu)
टीडीपी को पता है कि भाजपा दक्षिण भारत पैर फैलाने की कोशिश कर रही है। कर्नाटक और तेलंगाना के बाद आंध्र प्रदेश पर उसकी नजर है। इसलिए टीडीपी की तरफ से किसी तरह से भाजपा को रोकने के प्रयास हो रहे हैं।
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जानकार सूत्रों का कहना है कि जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण के जरिए भाजपा हिंदुत्व की राजनीति को हवा दे रही है। यह भी कहा जा रहा है कि पवन कल्याण को भाजपा की ओर से शह दी जा रही है।
गौरतलब है कि पहली बार आंध्र प्रदेश की दो सबसे मजबूत समुदाय साथ आए हैं। चंद्रबाबू नायडू कम्मा और पवन कल्याण कापू समुदाय का नेतृत्व करते हैं।(Chandrababu Naidu)
पवन कल्याण से पहले उनके भाई चिरंजीवी ने पार्टी बना कर राजनीति करने का प्रयास किया था लेकिन कामयाब नहीं हो पाए थे। पवन कल्याण राज्य में उप मुख्यमंत्री बन गए है।
माना जा रहा है कि बहुत ज्यादा दिन तक कम्मा और कापू का तालमेल नहीं चलना है। तभी भाजपा पवन कल्याण को लेकर अलग राजनीति कर सकती है।(Chandrababu Naidu)
इसलिए नायडू हर तरह से पवन कल्याण को रोकने की कोशिश करते हैं। इसी तरह पिछले दिनों जगन मोहन रेड्डी की पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा देने वाले विजय साई रेड्डी के भाजपा में जाने की चर्चा थी।
लेकिन कहा जा रहा है कि नायडू ने भाजपा पर दबाव डाल कर उनकी एंट्री रुकवाई। नायडू के दबाव में ही विजय साई रेड्डी ने राजनीति से संन्यास लेने और खेती के काम में लगने का ऐलान किया।(Chandrababu Naidu)