आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच कड़वाहट बहुत बढ़ गई है। यह कड़वाहट आर्थिक कारणों से बढ़ी है लेकिन इसका असर राजनीति पर भी होगा। कांग्रेस के कई नेता यह संभावना देख रहे थे कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद जगन मोहन रेड्डी बैकफुट पर हैं और ऐसे में उनके साथ बातचीत हो सकती है। पहले की तरह पूरे वाईएसआर रेड्डी परिवार के कांग्रेस में आने की संभावना देखी जा रही है। वाईएस शर्मिला तो पहले ही कांग्रेस में आ चुकी हैं और उनकी मां विजयाम्मा भी उनके साथ हैं। लेकिन अब एक पावर कंपनी के शेयरों के ट्रांसफर को लेकर विवाद इतना बढ़ गया है कि साथ आने की संभावना नहीं दिख रही है।
असल में पावर कंपनी के शेयरों का ट्रांसफर बहुत गुपचुप तरीके से हुआ था। लेकिन जगन मोहन ने इसको उजागर कर दिया। उन्होंने एनसीएलटी में शिकायत की है कि उनकी ओर से अपनी मां को दिए गए शेयर गलत तरीके से वाईएस शर्मिला ने अपने नाम से ट्रांसफर कराए हैं। जगन का कहना है कि उन्होंने अपनी मां के प्यार और श्रद्धा की वजह से शेयर ट्रांसफर किए थे। दूसरी ओर शर्मिला का कहना है कि जब जगन ने गिफ्ट डीड के जरिए अपने शेयर अपनी मां को ट्रांसफर कर दिए तो उन शेयरों को अगर वे आगे किसी को देती हैं तो उस पर आपत्ति का कोई कारण नहीं है। इस पर जो विवाद चल रहा है वह लंबा चलने वाला है। वैसे भी अगला चुनाव 2029 में होना है इसलिए दूर से ही कांग्रेस के नेता इस लड़ाई को देखेंगे। अगर परिवार में किसी तरह का समझौता होता है तो फिर राजनीतिक दांव चले जाएंगे।