आम आदमी पार्टी के नेताओं ने संजय सिंह की गिरफ्तारी पर हायतौबा मचा रखी है। अरविंद केजरीवाल रोज मीडिया के सामने आकर केंद्र सरकार पर हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के ऊपर देश का माहौल खराब करने का आरोप लगा रहे हैं। संजय सिंह की गिरफ्तारी, विधायक अमानतुल्ला खान के यहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का छापा और उससे पहले मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के समय भी केजरीवाल ने केंद्र के खिलाफ एक जैसे आरोप लगाए थे। लेकिन सवाल है कि जब उनको एक पूर्ण राज्य पंजाब की सत्ता मिली और जांच एजेंसी की कमान हाथ में आई तो उन्होंने क्या किया? उनकी सरकार का रवैया भी वैसा ही है जैसा केंद्र सरकार का है।
दिल्ली में तो वे कुछ कर नहीं सकते थे क्योंकि हर फैसले पर उप राज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है। इसलिए दिल्ली के भाजपा व कांग्रेस नेता बच गए। लेकिन पंजाब में जैसे ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और पुलिस व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी की कमान हाथ में आई वैसे ही राज्य सरकार ने कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के नेताओं के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। पार्टी के नेता कह रहे हैं कि वे भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन यही बात तो केंद्र सरकार भी कह रही है और केंद्रीय एजेंसियां भी कह रही हैं! फिर क्या फर्क है? अगर केंद्र सरकार कह रही है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कर रही है तो वह ठीक नहीं है लेकिन यही बात पंजाब की सरकार कह रही है तो वह ठीक है!
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने पिछले दिनों कांग्रेस के बड़े नेता विधायक सुखपाल सिंह खैरा को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ आठ साल पहले एक मुकदमा दायर हुआ था, जिसमें कहा गया था कि वे अपने सहयोगी के फोन से तस्करों से बात करते थे। उस मामले में खैरा की गिरफ्तारी से कांग्रेस नाराज है। खैरा की गिरफ्तारी सितंबर के अंत में हुई है और उससे पहले पंजाब सरकार के विजिलेंस विभाग ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री रहे ओपी सैनी को आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया। यानी एजेंसी हाथ में आते ही आप सरकार का दमनचक्र शुरू हो गया।
ऐसा नहीं है कि पंजाब सरकार की एजेंसियों के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस के नेता हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर भी निशाना है। पंजाब का विजिलेंस ब्यरो इन दिनों मनप्रीत बादल के पीछे पड़ा है। मनप्रीत बादल कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं। उनके ऊपर किसी प्राइम लोकेशन पर जमीन खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगा है कि पंजा सरकार उनको गिरफ्तार करने के पीछे पड़ी है। उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई है। बादल पंजाब के वित्त मंत्री रह चुके हैं और प्रदेश के सबसे बड़े नेता रहे प्रकाश सिंह बादल के भतीजे हैं। सोचें, एक छोटे राज्य की एकाध एजेंसी हाथ में आई है तो आप सरकार का क्या रवैया है और इसके बावजूद व केंद्र की एजेंसियों पर पूर्वाग्रह के आरोप लगा रही है!