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केजरीवाल विपक्ष के वोट कटवाएंगे?

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सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी है। उनको जमानत मिलनी ही थी क्योंकि अब शराब नीति में हुए कथित घोटाले में आरोपी वे अकेले व्यक्ति थे, जो जेल में थे। बाकी सभी नेताओं और कारोबारियों को जमानत मिल गई थी। जमानत देते हुए अदालत ने कई कानूनी पहलू उठाए लेकिन उनका कोई मतलब नहीं है क्योंकि अगर उन कानूनी पहलुओं पर जमानत मिलनी होती तो केजरीवाल व अन्य लोगों को बहुत पहले जमानत मिल गई होती। अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाई और यह भी कहा कि उसे पिंजरे के तोते वाली इमेज से बाहर आना चाहिए लेकिन इसका भी कोई मतलब नहीं है क्योंकि एजेंसियों को पता है कि उन्हें इन बातों को गंभीरता से नहीं लेना है। अगर उन्होंने गंभीरता से लिया होता तो 11 साल पहले ही जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था तभी एजेंसी सुधर गई होती। तब तो एजेंसी के प्रमुख का कार्यकाल दो साल का ही होता था अब तो मोदी सरकार ने उसके पांच साल तक विस्तार का नियम बना दिया है तो अब पिंजरे के तोते के आजाद होने की संभावना वैसे ही कम हो गई है।

बहरहाल, केजरीवाल बहुत कठिन शर्तों के साथ जेल से छूटे हैं और अब वे सिर्फ राजनीति करेंगे। दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री के रूप में उनके अधिकार पहले ही कम कर दिए गए थे और जो बचे हुए अधिकार थे उनके इस्तेमाल पर कई तरह की पाबंदी कोर्ट ने लगा दी है। ऊपर से अगले चार महीने में दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं। इसलिए वे कामकाज छोड़ कर सिर्फ राजनीति करेंगे। उनकी पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ने उतरेगी और भाजपा को लग रहा है कि 10 साल की एंटी इन्कम्बैंसी और कांग्रेस के अलग लड़ने से इस बार केजरीवाल को हराना संभव हो पाएगा। अगर इस साल के चुनाव वाले चार राज्यों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो दिल्ली में केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ेंगी। तभी दिल्ली की राजनीति में अगले चार महीने बहुत राजनीतिक उठापटक वाले होंगे।

उससे पहले अरविंद केजरीवाल अपने को हरियाणा के प्रचार में झोंकेंगे। उनकी पार्टी ने वहां सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं और जब वे जेल में थे तभी उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने हरियाणा में पार्टी का चुनाव अभियान लॉन्च किया था, जिसकी थीम हरियाणा के बेटे को विजयी बनाने की थी। गौरतलब है कि केजरीवाल हरियाणा के रहने वाले हैं। हालांकि अभी तक वे कई बार हरियाणा में किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली है। इस बार का चुनाव थोड़ा अलग है। दिल्ली और पंजाब में उनकी सरकार है और इन दोनों राज्यों के बीच हरियाणा है तभी आप के नेता ट्रिपल इंजन की बात कर रहे हैं। दूसरे इस बार पांचकोणीय मुकाबला है। यह चर्चा भी है कि केजरीवाल भाजपा की मदद करेंगे। किसी न किसी रूप में भाजपा और केंद्र सरकार के साथ समझौते की चर्चा बहुत तेज है। माना जा रहा है कि एजेंसियों ने उनको और उनके सहयोगियों को इसी शर्त पर राहत दी है कि वे कांग्रेस से तालमेल नहीं करेंगे, सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और वोट काटेंगे। इसमें उनको भी फायदा है। कमजोर कांग्रेस से ही उनकी राजनीति चलनी है। अगर कांग्रेस मजबूत होती है तो उनकी पार्टी का बोरिया बिस्तर बंध सकता है। सो, आगे बहुत दिलचस्प राजनीति होनी है।

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