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केजरीवाल की हिंदुत्व की राजनीति

Arvind KejriwalImage Source: ANI

आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पहले भी नरम हिंदुत्व की राजनीति करते थे। वे भाजपा की तर्ज पर भारत माता की जय के नारे लगाते थे और अपने को हनुमान भक्त बताते थे। विधानसभा चुनाव में गिनती के मुस्लिम उम्मीदवार उतारते थे क्योंकि उनको पता था कि मुस्लिम वोट कहीं नहीं जाएंगा। लेकिन अब वे भाजपा से भी ज्यादा खुल कर हिंदुत्व की राजनीति करने लगे हैं। असल में इस बार का विधानसभा चुनाव उनके लिए सबसे मुश्किल चुनाव माना जा रहा है। 10 साल की एंटी इन्कम्बैंसी और कांग्रेस के प्रति प्रवासी और मुस्लिम मतदाताओं के सद्भाव से उनकी मुश्किल बढ़ी है। तभी इस बार वे नरम हिंदुत्व की राजनीति को कट्टर हिंदुत्व की राजनीति में बदल रहे हैं।

भाजपा ने दिल्ली में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा बनाया और उप राज्यपाल ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि वह बांग्लादेशियों की पहचान के लिए अभियान चलाए तो केजरीवाल भी इस राजनीति में कूद गए। उनकी पार्टी के नियंत्रण वाले दिल्ली नगर निगम ने निगम के स्कूलों में बांग्लादेशी बच्चों की पहचान का अभियान छेड़ दिया। इसी कड़ी में केजरीवाल ने दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18 हजार रुपया महीना देने की घोषणा कर दी है। इससे पहले मस्जिदों के इमामों और 17 हजार रुपया महीना मिलता है। हालांकि इमामों का कहना है कि उन्हें 17 महीने से वेतन नहीं मिला है। वे इसके लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे इमामों का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले दिनों केजरीवाल से मिलने पहुंच गया था लेकिन उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया। ऐसा लग रहा है कि वे नहीं चाहते हैं कि इस समय इमामों के साथ तस्वीर और वीडियो सामने आए।

By NI Political Desk

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