अरविंद केजरीवाल एक महिला नेता से धोखा खा चुके हैं। जिस तरह से आतिशी उनके बहुत नजदीक है और पार्टी के लिए बड़ा संघर्ष किया है उसी तरह स्वाति मालीवाल ने भी पार्टी के लिए बहुत काम किया था। स्वाति और उनके पूर्व पति नवीन जयहिंद बिल्कुल शुरुआत से केजरीवाल के आंदोलन से जुड़े रहे थे। तभी केजरीवाल ने उनको लगातार तीन बार दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया और फिर राज्यसभा में भेजा। लेकिन राज्यसभा जाते ही उनके तेवर बदल गए। बताया जा रहा है कि अभिषेक सिंघवी को राज्यसभा भेजने के लिए केजरीवाल की ओर से स्वाति मालीवाल को इस्तीफा देने को कहा गया था। उन्होंने न सिर्फ इनकार किया, बल्कि केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के ऊपर मारपीट का आरोप लगा कर मुकदमा कर दिया। बिभव तीन महीने जेल में रह कर छूटे हैं। अब स्वाति मालीवाल खुल कर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर हमला कर रही हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता मान रहे हैं कि आतिशी ऐसा कुछ नहीं करेंगी।
केजरीवाल को यह इतिहास भी पता है कि जो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठता है उसकी महत्वाकांक्षा बड़ी हो जाती है। हाल की मिसाल चम्पई सोरेन की है, जिनको हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनाया था और बाद में जब हटाया तो चम्पई बागी हो गए और भाजपा के साथ चले गए। उनसे पहले बिहार में जीतन राम मांझी की मिसाल थी, जिनको नीतीश कुमार ने सीएम बनाया था और हटाने में ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। बाद में मांझी ने बगावत करके अलग पार्टी बना ली। महाराष्ट्र में नारायण राणे को बाल ठाकरे ने सीएम बनाया था लेकिन हटने के बाद से ही राणे ने ठाकरे परिवार के खिलाफ मोर्चा खोला है। तभी जब केजरीवाल जेल गए और इस्तीफा नहीं दिया तो माना गया कि यह मॉडल सबसे अच्छा है या लालू प्रसाद वाला मॉडल अच्छा है। बहरहाल, केजरीवाल प्रॉक्सी सीएम के खतरे को जानते हैं। तभी वे आतिशी को ज्यादा समय नहीं दे रहे हैं। उनके पास सिर्फ चार महीने का समय है। दूसरे खुद केजरीवाल सक्रिय रूप से पार्टी और विधायकों पर नियंत्रण रखेंगे। इसलिए उनको आतिशी को सीएम बनाने में कोई खतरा नहीं दिखा।