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बैंकों की सेहत सुधारने का नया तरीका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले दिनों रोजगार मेले में युवाओं को नियुक्ति पत्र दे रहे थे तो उन्होंने फोन बैंकिंग फ्रॉड का एक नया जुमला बोला और कहा कि नौ साल पहले जो सरकार थी उसके करीबी लोग फोन करते थे और किसी को कर्ज मिला जाता था। बाद में वह कर्ज डूब जाता था। इसके बाद उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार में बैंकिंग सेक्टर में बहुत सुधार हुआ है और इसमें मजबूती आई है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे मजबूत बैंकिंग सेक्टर में अब भारत भी शामिल हो गया है।

असल में इस सरकार में बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करने का नया तरीका निकाला है। पहला तरीका तो यह है कि पिछले सारे बकाए को भूल जाओ। इस नीति के तहत बैंकों ने अपने अपने बैलेंस शीट साफ कर लिए। सबने बैड लोन को राइट ऑफ कर दिया यानी बट्टेखाते में डाल दिया। सरकार के अपने आंकड़ें के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में 2.09 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बट्टेखाते में डाला गया। पिछले पांच साल में कुल 10.57 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बट्टेखाते में डाला गया और अगर सरकार ने नौ साल की बात करें तो साढ़े 13 लाख करोड़ रुपए के करीब बट्टेखाते में डाल दिए गए।

राइट ऑफ करने का मतलब कर्ज माफ करना नहीं होता है लेकिन इसका अर्थ इसी से मिलता जुलता होता है। बैंक मान कर चलते हैं कि यह रकम डूब गई। तभी ऐसे कर्ज की वसूली सिर्फ 18 फीसदी हो रही है। यानी बट्टेखाते में डाले गए 82 फीसदी कर्ज डूब रहे हैं। इसके बाद दूसरा तरीका यह निकाला गया कि बैंकिंग की हर सेवा जो पहले मुफ्त थी उसके लिए शुल्क लगा दिया जाए। पैसे जमा कराने से लेकर निकालने तक की सारी बैंकिंग सेवा पर शुल्क लगा दिया गया है, जिससे हजारों करोड़ रुपए बैंक आम ग्राहक से वसूल रहे हैं। यहां तक कि खाते में न्यूनतम रकम मेंटेन नहीं करने वालों से हजारों करोड़ रुपए वसूले गए हैं।

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