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रायपुर में समझौता फॉर्मूला चला

कांग्रेस पार्टी के दोनों शीर्ष नेता यानी राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी खुद सभी राज्यों के नेताओं से मिल रहे हैं और संगठन व सरकार की समस्याओं को दूर कर रहे हैं। तभी पिछले दिनों जब छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया तो ऐसा लगा कि पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को समझौता करने के लिए मजबूर किया है। यह भी लगा कि अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान समाप्त हो गई है और पूरी पार्टी एकजुट होकर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। पार्टी आलाकमान ने बघेल को मजबूर करके सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री नहीं बनवाया, बल्कि एक समझौते के तहत वे उप मुख्यमंत्री बने हैं।

टीएस सिंहदेव की बतौर उप मुख्यमंत्री ताजपोशी उनके सबसे करीबी नेताओं में से एक कुर्बानी की कीमत पर हुई है। जांजगीर चांपा के आदिवासी नेता और सिंहदेव के करीबी प्रेम साई सिंह तकाम को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उनकी जगह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम मंत्री बने हैं, जो बघेल के बेहद करीबी हैं। कुल मिला कर बघेल ने सारे फैसले अपने मन से कराए हैं। ध्यान रहे कुछ समय पहले मरकाम ने कई पदाधिकारी अपनी मर्जी से नियुक्त कर दिए थे, जिनकी नियुक्ति को प्रभारी कुमारी शैलजा ने रद्द किया। उसके बाद से ही मरकाम को हटाने की बात थी। लेकिन बघेल ने उनको ऐसे नहीं हटने दिया। उनकी जगह दूसरे आदिवासी नेता दीपक बैज को अध्यक्ष बनाया गया लेकिन बदले में मरकाम को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

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