केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बार बिहार के दौरे पर गए तो उन्होंने पहले की ही तरह अपने पुराने सहयोगी नीतीश कुमार को निशाना बनाने के लिए लालू-राबड़ी राज का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि बिहार फिर से जंगल राज की ओर जा रहा है। शाह ने तंज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार को क्या अब लालू प्रसाद के परिवार का भ्रष्टाचार नहीं दिखाई दे रहा है। ध्यान रहे उनके बिहार जाने से ठीक पहले उनके गृह मंत्रालय ने जमीन के बदले नौकरी के कथित घोटाले में लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई को दी थी। सो, माना जा रहा है कि भाजपा किसी तरह से नीतीश कुमार पर दबाव बना रही है कि वे भ्रष्टाचार या जंगल राज या किसी और कारण से लालू प्रसाद का साथ छोड़ें।
अमित शाह ने अपनी सभा में यह भी कहा कि राजद और जदयू तेल और पानी की तरह हैं। दोनों का तालमेल हो ही नहीं सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी ही दोनों अलग होंगे और राज्य में चुनाव होगा। माना जा रहा है कि उन्होंने राज्य में जल्दी चुनाव होने का भय दिखाया, जिससे नीतीश की पार्टी के विधायक चिंता में आएंगे और नीतीश पर भाजपा के साथ जाने का दबाव बढ़ाएंगे। पहली बार ऐसा हुआ है कि नीतीश की पार्टी के एक एमएलसी राधाचरण सेठ को केंद्रीय एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार किया है। दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन में संयोजक नहीं बनाए जाने की वजह से नीतीश भी विपक्ष पर दबाव की राजनीति कर रहे हैं। वे राष्ट्रपति की ओर से जी-20 के मेहमानों के दिए डिनर में पहुंच गए। वे जब से भाजपा से अलग हुए तब से केंद्र सरकार के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे थे। लेकिन उस रात्रिभोज में गए। उसके बाद विपक्षी गठबंधन ने 14 न्यूज एंकर्स का बहिष्कार किया तब भी उन्होंने इससे सहमति नहीं जताई।