लोकसभा चुनाव में भाजपा के जिन नेताओं को टिकट नहीं मिली या जो चुनाव हार गए या जिनको लग रहा था कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी बड़ी उपयोगिता होगी और इसलिए पार्टी आलाकमान की ओर से उनको कोई बड़ा पद दिया जा सकता है, ऐसे तमाम नेता निराश हो गए हैं। कुछ नेता तो मंत्रिमंडल के गठन के समय ही निराश हो गए थे लेकिन छह नए राज्यपालों की घोषणा के बाद निराशा और सघन हो गई है। उनको लग रहा है कि उनका इंतजार लंबा हो सकता है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में आरा की सीट से हार गए केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के लिए कहा जा रहा था कि वे मोदी की तीसरी सरकार में मंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन उनका नंबर नहीं आया। इसी तरह काराकाट सीट से हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के भी शपथ लेने की चर्चा थी लेकिन उनको भी निराशा मिली। हालांकि उनके लिए भाजपा और जदयू की ओर से घोषणा हो गई है कि उनको मीसा भारती के लोकसभा चुनाव जीतने से खाली हुई राज्यसभा सीट दी जाएगी।
बहरहाल, आरके सिंह को लग रहा था कि उनको राज्यसभा की दूसरी सीट, जो विवेक ठाकुर के लोकसभा सदस्य बनने से खाली हुई है वह मिल जाएगी, लेकिन अभी तक उसकी घोषणा नहीं हुई है। केंद्र में मंत्री बनने के अलावा उनको कहीं राज्यपाल या उप राज्यपाल बनाए जाने की भी उम्मीद थी लेकिन वह उम्मीद भी टूट गई है। इसी तरह अश्विनी चौबे को इस बार बक्सर सीट से टिकट नहीं मिली तो वे काफी निराश हुए। उनकी नाराजगी का असर नतीजे पर दिखा। वहां से भाजपा के मिथिलेश तिवारी हार गए। बाद में अश्विनी चौबे के राज्यपाल बनने की खबरें चलने लगीं। कहा जाने लगा कि वे तेलंगाना के राज्यपाल बन रहे हैं। लेकिन छह नए राज्यपालों की घोषणा हुई तो उनका नाम सूची में नहीं था। बिहार में अगले साल चुनाव हैं। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि बिहार से किसी को राज्यपाल बनाया जाएगा। हालांकि सत्यदेव आर्य और आरएन रवि बिहार के हैं और दो राज्यों के राज्यपाल हैं।