कर्नाटक में 2019 में और मध्य प्रदेश में 2020 में कांग्रेस टूटी थी। दोनों जगह कांग्रेस से टूटे विधायकों की मदद से भाजपा ने सरकार बनाई। उधर 2021 में मेघालय में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को तोड़ा था। लेकिन उसके बाद किसी भी राज्य में कांग्रेस को तोड़ने का अभियान सफल नहीं हुआ। चाहे वह अभियान भाजपा ने किया हो या किसी और पार्टी ने। राजस्थान में 2020 में ही लग रहा था कि पार्टी टूट जाएगी लेकिन अशोक गहलोत ने पार्टी और सरकार दोनों बचा ली। झारखंड में कई सालों से चल रहा प्रयास असफल रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के टूटने की की अटकलें कई महीनों से चल रही हैं। इसी तरह अब चर्चा है कि बिहार में कांग्रेस पार्टी टूट सकती है। यह चर्चा खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बयान से शुरू हुई।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन महागठबंधन के विधायकों की बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा को निशाना बना कर उनसे पूछा कि क्या वे भाजपा में जाने की सोच रहे हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री को इस बारे में पक्की सूचना है कि कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। इनकी संख्या को लेकर कंफ्यूजन है। यह संख्या 11 से 13 बताई जा रही है। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि अभी दो-तिहाई संख्या नहीं पूरी हो रही है। यानी 13 विधायक पूरे नहीं हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के साथ साथ जदयू और राजद दोनों के नेता भी कांग्रेस को टूटने से बचाने में लगे हैं। टूटने की चर्चाओं की वजह से ही कांग्रेस विधायक दल के नेता को हटा भी नहीं है, जबकि अखिलेश प्रसाद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही अजीत शर्मा को हटाने की चर्चा चल रही है।