केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ उलटा पुलटा बोलना शुरू कर दिया है। इस साल जनवरी में नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल हो जाने के बाद मांझी ने बयानबाजी बंद कर दी थी। उलटे वे नीतीश की तारीफ करने लगे थे। गौरतलब है कि मांझी पहले नीतीश की सरकार में मंत्री थे और नीतीश ने ही 2014 में इस्तीफा देकर उनको मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि सिर्फ नौ महीने में ही उनको हटा कर नीतीश खुद मुख्यमंत्री बन गए थे। उसके बाद से मांझी उनके प्रति नरम गरम रुख दिखाते रहते हैं। केंद्र में मंत्री बन जाने के बाद उन्होंने नीतीश के खिलाफ जो मोर्चा खोला है वह इसलिए हैरान करने वाला है क्योंकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अपनी पार्टी के सभी नेताओं को कहा गया है कि बिहार में नीतीश ही एनडीए के नेता हैं इसलिए उनके खिलाफ बयानबाजी नहीं होनी चाहिए।
भाजपा नेताओं के लिए दिया गया यह निर्देश मांझी पर भी लागू होता है। आखिर भाजपा के साथ साथ मांझी की पार्टी को भी अगला विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नाम और चेहरे पर ही लड़ना है। फिर भी उन्होंने नीतीश कुमार को निशाना बनाया है और कहा है कि नीतीश उनका मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि मांझी के पास पैसा है ही नहीं है तो कैसे पार्टी चलाएंगे। उन्होंने इसके आगे बिना नाम लिए कहा कि कुछ लोगों को जलन हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे एक सांसद वाले पार्टी के नेता इतना अहम मंत्रालय देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया। गौरतलब है कि नीतीश की पार्टी के 12 सांसद हैं पर उनमें से सिर्फ एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री बनाया गया है।
बहरहाल, जीतन राम मांझी के नीतीश पर हमले की टाइमिंग को लेकर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने हमला ऐसे समय में किया है, जब केंद्रीय एजेंसी ईडी ने नीतीश सरकार के करीबी आईएएस अधिकारी संजीव हंस के यहां छापा मारा। उनके अलावा कुछ कारोबारियों के यहां भी छापे पड़े हैं। तभी एक तरफ केंद्रीय एजेंसी का बिहार जाकर अधिकारियों और कारोबारियों पर छापे मारना और उसी बीच मांझी का नीतीश को निशाना बनाने से सवाल उठ रहे हैं।