बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों यानी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, जिसके नेता केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस हैं और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास, जिसके नेता चिराग पासवान हैं का झगड़ा भाजपा के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। दोनों नेताओं को मनाने और समझाने की कोशिश कामयाब नहीं हो रही है। माना जा रहा है कि भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी को ही मुख्य पार्टी माना है और रामविलास पासवान की विरासत का वारिस भी उनके बेटे चिराग को ही माना है। दूसरी ओर रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस उनकी विरासत का दावा करते हैं। उनके साथ पांच सांसद हैं और इस दम पर वे केंद्र सरकार में मंत्री बने हुए हैं। दोनों के बीच झगड़ा हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर है, जहां से पशुपति पारस अभी सांसद हैं।
असल में पिछले लोकसभा चुनाव के समय भाजपा और जदयू के साथ लोजपा के समझौते में लोजपा को छह लोकसभा और एक राज्यसभा की सीट मिली थी। इस समझौते के मुताबिक रामविलास पासवान लोकसभा का चुनाव नहीं लड़े थे। वे चुनाव के बाद राज्यसभा में गए थे। उनकी पारंपरिक हाजीपुर सीट से उनके भाई पशुपति पारस लड़े थे और चिराग पासवान अपनी जमुई सीट से दूसरी बार लड़े थे। पारस की समस्तीपुर सीट तीसरे भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस पासवान को दी गई थी। अब चिराग का कहना है कि वे अपने पिता की हाजीपुर सीट से लड़ेंगे। दूसरी ओर पारस किसी हाल में हाजीपुर सीट छोड़ कर राजी नहीं हैं। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया है कि दोनों एक दूसरे को हाजीपुर और जमुई में हराने की बात कर रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि रामविलास पासवान की पहली पत्नी या उनके बच्चों को भी पशुपति पारस सामने लाकर चिराग के खिलाफ खड़ा कर सकते हैं। हालांकि पिछले दिनों पहली बार चिराग पासवान और उनकी मां ने रामविलास पासवान की पहली पत्नी के साथ संबंध सुधार का प्रयास शुरू किया। बहरहाल, परिवार का यह झगड़ा भाजपा के लिए इसलिए सिरदर्द है क्योंकि विवाद बढ़ने पर पशुपति पारस के जदयू के साथ जाने की संभावना भी जताई जा रही है।