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महागठबंधन के कितने नेता भाजपा के संपर्क में?

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों यह मैसेज दे रहे हैं कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक है लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकार चला रही दोनों बड़ी पार्टियों के बीच अविश्वास बढ़ता जा रहा है। तभी नीतीश कुमार ने विधानसभा सत्र के पहले दिन महागठबंधन की पार्टियों की बैठक के बीच लालू-राबड़ी परिवार के करीबी राजद विधायक सुनील सिंह पर आरोप लगाया कि वे भाजपा के संपर्क में हैं। नीतीश ने तंज करने के अंदाज में कहा कि भाजपा में जाने का इरादा है क्या। इसके बाद सुनील सिंह खड़े हो गए कहा कि सहकारिता से जुड़े होने की वजह से अमित शाह से मिलने गए थे। वह आधिकारिक काम था।

इससे पहले सुनील सिंह ने नीतीश और उनकी पार्टी पर हमला किया था। उन्होंने ट्विटर पर यह सवाल भी पूछा था कि भारत में सबसे अविश्वसनीय नेता कौन है। सुनील सिंह अकेले नहीं हैं, जिन पर नीतीश ने भाजपा के संपर्क में होने का आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा पर भी सवाल उठाया और कहा कि वे भाजपा के संपर्क में हैं। अजित शर्मा को पिछले कुछ दिन से बदले जाने की चर्चा है। जब से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उनकी जाति के बने हैं तब से ही उनको हटाने की चर्चा है। तभी मुमकिन है कि वे भाजपा के संपर्क में हों।

बहरहाल, गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच अविश्वास की स्थिति यह है कि राजद और कांग्रेस के नेता जदयू पर भाजपा के संपर्क में होने के आरोप लगा रहे हैं। राजद के एक नेता ने कहा कि नीतीश कुमार के सबसे करीबी मंत्रियों में से दो लोग भाजपा के संपर्क में हैं। दोनों विधान परिषद के सदस्य हैं और अलग अलग माध्यम से भाजपा के संपर्क में हैं। दोनों के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वे नीतीश कुमार पर दबाव बना रहे हैं कि वे भाजपा के साथ चलें। दोनों लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। राजद, जदयू या कांग्रेस का जो भी नेता भाजपा के संपर्क में बताया जा रहा है उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखता है।

ध्यान रहे भाजपा को इस बार लोकसभा की 13 या 14 अतिरिक्त सीटें लड़नी हैं। पिछली बार नीतीश कुमार के साथ तालमेल में भाजपा 17 सीटों पर लड़ी थी और सभी सीटों पर जीती थी। इस बार भाजपा 30 या 31 सीटों पर लड़ेगी। सो, भाजपा के अपने नेताओं के साथ साथ दूसरी पार्टियों के बड़े नेता भी भाजपा की टिकट पर नजर लगाए हुए हैं। जदयू और कांग्रेस के कई विधायक इस लालच में भाजपा के साथ जा सकते हैं कि उनको लोकसभा की टिकट मिलेगी। इसके अलावा कई विधायक राजद के साथ अपने क्षेत्र का समीकरण नहीं बैठने या सीट बदले जाने की चिंता में पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ध्यान रहे पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़े थे। इसलिए जदयू का कोई विधायक अगर भाजपा के साथ जाता है तो उसको अपनी सीट पर टिकट मिल सकती है।

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