राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है और जितने मंजे हुए नेता हैं वे अलग अलग प्रतीकों का बहुत होशियारी से इस्तेमाल करते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसमें माहिर हैं। वे कुछ प्रतीकों के जरिए राजनीतिक इशारे कर रहे हैं। जैसे बुधवार को वे मुंगेर, बांका के दौरे पर गए तो इस क्रम में वे एक स्कूल में पहुंचे, जहां अंग्रेजी में ‘डिजिटल लाइब्रेरी’ लिखा हुआ था। इसे देखते ही नीतीश भड़क गए। उन्होंने स्कूल से जुड़े लोगों और अधिकारियों को बड़ी फटकार लगाई और कहा, ‘आप लोग हिंदी को खत्म कर दीजिएगा’। उन्होंने तत्काल उसे हिंदी में लिखने को कहा गया। डिजिटल लाइब्रेरी ही लिखा जाएगा लेकिन लिपि देवनागरी होगी। ध्यान रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी पिछले कुछ समय से हिंदी के ऊपर फोकस किए हुए हैं। सारे काम हिंदी में करने की वकालत हो रही है। ध्यान रहे वे विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखे जाने के पक्ष में भी नहीं थे।
इसी तरह नीतीश कुमार मंगलवार को औचक निरीक्षण पर निकले और अपनी सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल कोटे के मंत्रियों के चैम्बर में पहुंच गए। सुबह साढ़े नौ बजे वहां जाकर उन्होंने मंत्रियों को खोजना शुरू कर दिया और उसके फोन करके उनको हड़काया भी। उनके भी एकाध मंत्री गैरहाजिर थे लेकिन वे तुरंत पहुंच गए। बताया जा रहा है कि वह मिला-जुला खेल था। यहां भी नीतीश कुमार ने एक इशारा किया। उन्होंने राजद के मंत्रियों को निकम्मा और कामचोर साबित करने का प्रयास किया है। नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन की ओर से कुछ न्यूज एंकर्स के बहिष्कार का पक्ष में भी नहीं रहे हैं। सो, भले वे अभी पाला नहीं बदल रहे हैं लेकिन उन्होंने इशारा करना शुरू कर दिया है।