बिहार के दो नेता इस समय बहुत बेचैन हैं। एक पप्पू यादव हैं, जिन्होंने जन अधिकार पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई है। दूसरे मुकेश सहनी हैं, जिनकी विकासशील इंसान पार्टी है। ये दोनों मजबूत जातीय आधार वाले नेता हैं लेकिन उनको कोई नहीं पूछ रहा है। बाकी पार्टियों का हिसाब तय हो गया है। सब या तो महागठबंधन यानी ‘इंडिया’ का हिस्सा हैं या भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का। उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक जनता दल, जीतन राम मांझी का हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और चिराग-पारस की लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए के साथ है तो राजद, जदयू, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई और सीपीआईएमएल ‘इंडिया’ के साथ हैं।
पप्पू यादव की पार्टी भी महागठबंधन के साथ है लेकिन उनको ‘इंडिया’ की बैठक में नहीं बुलाया गया था। वे इस बात से बहुत नाराज हैं और उन्होंने गठबंधन की पार्टियों को जल्दी फैसला करने को कहा है। उनका यह भी कहना है कि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को उनसे खतरा लगता है। हालांकि पिछले दिनों वे लालू प्रसाद से मिलने गए थे। ध्यान रहे उनकी पत्नी रंजीत रंजन को कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजा है। उधर मुकेश सहनी कुछ समय पहले तक एनडीए का हिस्सा थे लेकिन बिहार में एनडीए टूटने से पहले भाजपा ने उनकी पार्टी तोड़ दी। उनके तीन विधायक भाजपा के साथ चले गए और एक सीट पर उपचुनाव में उनकी पार्टी हार गई। इस तरह 2020 के चुनाव में चार विधानसभा सीट पर जीतने वाले मुकेश सहनी के पास अभी एक भी विधायक नहीं है। वे दोनों में से किसी गठबंधन में अपनी जगह बनाने के लिए बेचैन हैं। लेकिन उनको न ‘इंडिया’ की बैठक में बुलाया जा रहा है और एनडीए की बैठक में।