Bihar politics: ऐसा कम ही होता है कि राहुल गांधी किसी राज्य के दौरे पर जाएं। अगर चुनाव नहीं हो या कोर्ट की तारीख नहीं हो तो वे आमतौर पर किसी राज्य के दौरे पर नहीं जाते हैं।
लेकिन बिना चुनाव और बिना कोर्ट की तारीख के वे बिहार की राजधानी पटना पहुंच थे। उन्होंने संविधान सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया और तय लाइन पर केंद्र व बिहार की एनडीए सरकार पर हमला किया।
लेकिन एनडीए सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जिससे उनकी सहयोगी पार्टी राजद के नेता खुश नहीं हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि बिहार सरकार की कराई जाति गणना फर्जी है और जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो वह जो जाति गणना कराएगी उसमें सब कुछ एक्सरे और एमआरआई की तरह साफ हो जाएगा।
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ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी को पता नहीं हो कि जिस समय जाति गणना हुई थी उस समय बिहार में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस के समर्थन से ही मुख्यमंत्री थे।
जाति गणना के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 75 फीसदी की गई थी तब भी जदयू, राजद और कांग्रेस की ही सरकार थी। तभी राजद नेता जाति गणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने का श्रेय लेते हैं।
तेजस्वी यादव इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। लेकिन राहुल गांधी ने यह कह कर इसकी हवा निकाल दी कि जाति गणना फर्जी है। राहुल ने जान बूझकर राजद के ऊपर दबाव बनाने के लिए यह बात कही है।
कांग्रेस असल में राहुल गांधी को पिछड़ी जातियों के हितों का असली चैंपियन साबित करने की राजनीति कर रही है।
अभी तात्कालिक दबाव इस बात के लिए है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीटें छोड़ने को नहीं कहा जाए। पिछली बार कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और उसे सिर्फ 19 सीटें मिलीं।
दूसरी ओर 140 सीट लड़ कर राजद ने 80 और 29 सीटों पर लड़ कर लेफ्ट मोर्चा ने 16 सीटें जीतीं। दूसरे, इस समय मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी महागठबंधन का हिस्सा है।(Bihar politics)
तभी कांग्रेस से सीटें छोड़ने की मांग की जा रही है। कांग्रेस को भी पता है कि उसे सीटें छोड़नी होंगी। लेकिन कम से कम सीट छोड़नी पड़ी और राजद भी कुछ सीटें छोड़ें इसके लिए दबाव की राजनीति की जा रही है।
दूसरी ओर राहुल गांधी की यात्रा के दिन राजद ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला कर उसमें तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया। यह भी दबाव की राजनीति का ही हिस्सा है।
एनडीए में अलग दबाव की राजनीति
उधर एनडीए में अलग दबाव की राजनीति चल रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कह दिया कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा तो जनता दल यू की ओर से एक विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि बिहार की बात हो तो सिर्फ नीतीश कुमार की बात हो।
इसके बाद जदयू ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के विधेयक पर जेपीसी की बैठक में सवाल पूछ कर भी भाजपा को असहज किया। फिर भाजपा ने अपना दांव चिराग पासवान के जरिए चला।
चिराग पासवान पिछले दिनों बीपीएससी अभ्यर्थियों के धरने में पहुंच गए और कह दिया कि बीपीसीएससी परीक्षा में धांधली हुई थी इसलिए परीक्षा रद्द होनी चाहिए।(Bihar politics)
वे जानते हैं कि बिहार सरकार किसी हाल में परीक्षा रद्द करने को तैयार नहीं है। चिराग की बात पर दूसरे सहयोगी और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने गठबंधन धर्म निभाने की सलाह दी।